उत्तराखंड में नई पेयजल योजनाओं के संचालन पर गंभीर संकट
देहरादून न्यूज़: प्रदेश में पेयजल की नई और
पुरानी योजनाओं के रखरखाव की
ठोस व्यवस्था न होने से इनके संचालन
पर संकट खड़ा हो गया है. जल निगम
की दो वर्ष से लेकर नौ वर्ष पुरानी 136
योजनाएं आज तक जल संस्थान को हैंडओवर नहीं हुई हैं. निगम के पास मरम्मत और संचालन का बजट ही नहीं है, ऐसे में ये योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. पेयजल सप्लाई भी बाधित हो रही है. उधर, जल जीवन मिशन में 10 हजार योजनाएं बन रही हैं. भविष्य में उनका संचालन कैसे होगा, इसे लेकर भी माथापच्ची चल रही है.
जल निगम ने योजनाओं
का ब्योरा दिया है. उन पर डिवीजन स्तर से रिपोर्ट मंगाई है.
योजनाओं में क्या कमियां हैं, उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, इस पर विचार कर हल निकाल लेंगे.
-आरके रोहेला, महाप्रबंधक, जल संस्थान
जल संस्थान से कह दिया
है कि वो तत्काल इन
योजनाओं का संचालन संभाले. उसे
संचालन को जो बजट चाहिए, वो
शासन से मांग सकता है. जल्द
औपचारिकता पूरी कर ली जाएगी.
जल जीवन मिशन को लेकर भी पॉलिसी बनाई जा रही है. -उदयराज, प्रबंध निदेशक, जल निगम
केस वन
अल्मोड़ा की मानीला बरकिंडा योजना 2015, चमड़खान योजना
2016 और पनार भनौली योजना का काम 2017 में पूरा हो गया था. साथ ही अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ की कुल 12 योजनाएं बनकर तैयार हैं, लेकिन जल संस्थान इन्हें लेने को तैयार नहीं है. ऐसे में इन योजनाओं की मरम्मत और संचालन में दिक्कत हो रही है. इस मद में जल निगम को कोई बजट नहीं मिलता. इसके चलते इन योजनाओं में आए दिन कुछ न कुछ दिक्कत बनी रहती है. इसका खामियाजा लोगों को पेयजल संकट के रूप में भुगतना पड़ता है. बेरीनाग बेराडगढ़ उडियारी पेयजल योजना से भी ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है.
केस दो
टिहरी की कोशियार पंपिंग योजना, घंटाकर्ण, हेवलघाटी, तपोवन, सूरजकुंड रानीताल,
अकरी बारजूला, क्वीली पालकोट, सूरीधार योजनाएं भी 2020 से तैयार हैं. इन्हें भी
जल संस्थान नहीं ले रहा. दोनों एजेंसियों के बीच की खींचतान का खामियाजा जनता
भुगत रही है. दिक्कत होने पर जल संस्थान ये कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि योजना उसके नियंत्रण में नहीं. जल निगम बजट न होने का हवाला देकर बच जाता है.
केस तीन
हरिद्वार जिले में तो एक-दो नहीं, बल्कि 53 पेयजल योजनाएं ऐसी हैं, जो जल निगम के लिए सिर का दर्द बनी हुई हैं. पानी का बिल निगम वसूल नहीं पाता और उसके बाद संचालन में उसके पसीने छूट जा रहे हैं. बीच में जल निगम ने लगभग तीन करोड़ रुपये के बिल वसूलने का प्रयास किया भी था, लेकिन किसी ने भी भुगतान नहीं किया. इस पर एक-दो बार पेयजल संचालन रोककर दबाव बनाने का भी प्रयास किया, पर यह भी सफल नहीं रहा. ऐसे में यहां भी योजनाओं की मरम्मत और संचालन का बजट न मिलने से दिक्कतें पेश आ रही हैं. आज नहीं तो कल यहां भी जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
केस चार
राजधानी देहरादून में माखटी, नागथात, अटाल, भूट, डूमेट बाडवाला और बडवा समेत कुल 16 योजनाओं के संचालन को लेकर खींचतान है. सबसे अधिक दिक्कत गर्मियों में सामने आती है. संकट से निपटने के लिए जल संस्थान फिर यहां टैंकरों से पानी की सप्लाई करता है. पौड़ी जिले में भी भैरवगड़ी, नैनीडांडा, सबदरखाल, पुंडोरी, बिसल्ड योजनाओं की मरम्मत, संचालन को लेकर एजेंसियां उलझी हुई हैं.