उत्तराखंड

Nagarjuna और ओमप्रकाश वाल्मीकि जयंती पर गोष्ठी

Gulabi Jagat
3 July 2024 9:55 AM GMT
Nagarjuna और ओमप्रकाश वाल्मीकि जयंती पर गोष्ठी
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Lucknow लखनऊ । जनकवि नागार्जुन और ओमप्रकाश वाल्मीकि की जयंती के मौके पर जन संस्कृति मंच की ओर से कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कथाकार शिवमूर्ति ने की। फरजाना महदी ने नागार्जुन की कविता सुनाई जिसमें वह कहते हैं 'नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है /यह विशाल भूखंड जो आज चमक रहा है/ मेरी भी आभा है इसमें'। डॉक्टर अवंतिका सिंह ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की मशहूर कविता से उन्हें याद किया, जिसमें गैरबराबरी के समाज पर गहरा तंज़ है - 'कुंआ ठाकुर का/ पानी ठाकुर का /खेत-खलिहान ठाकुर के/ गली-मोहल्ले ठाकुर के/ फिर अपना क्या/ गांव? शहर? देश?'
इस मौके पर असगर मेहदी ने जोश मलीहाबादी और मोहम्मद कलीम खान ने अली सरदार जाफ़री की नज्म 'मैं मरकर भी अमर हो जाता हूं' सुनाई। शैलेश पंडित ने गजल सुना कर वाह वाही लूटी। वे कहते हैं 'जिंदगी एक बाजार है, साहब /हम तो बस, इश्तिहार हैं, साहब!/मसीहा तौलकर लगे बिकने /आपकी क्या शुमार है, साहब'। मोहब्बत क्या है? उर्दू शायर सइदा सायरा अपनी नज्म में कहती हैं 'मोहब्बत लेने नहीं, सिर्फ देने का नाम है.../दिले मुज्तर से कह दो /मोहब्बत तो बस मोहब्बत है'। इसी भाव का विस्तार करते हुए डॉक्टर अवंतिका सिंह अपनी कविता में कहती हैं 'भूखा न रहे जब कोई यहां/ना मन में किसी के बैर पले/इंसान हों, बस इंसान सभी/हृदय में सभी के प्रेम पले'।
अशोक वर्मा ने 'रोटी' कविता सुनाई, जिसकी पंक्तियां कुछ इस तरह है 'पेट और पीठ के बीच की/ दो-तीन इंच की दूरी को पाटने का /एकमात्र साधन है रोटी/मगर बड़ी खूंखार है रोटी'। कविता के माध्यम से उन्होंने रोटी की अनेक छवियों को उकेरा और कहा कि रोटी ऐसी है जो मनुष्य के स्वाभिमान को कुचल डालती है। वहीं, भगवान स्वरूप कटियार ने 'सुनी आंखों में सपना बुनना' कविता का पाठ किया, जिसमें वह कहते हैं कि 'आओ जल रहे देश के लोगों की सूनी आंखों में/ कोई सपना बुने /और बचाएं जज्बातों को कत्ल होने से'। गोष्ठी का समापन कौशल किशोर की कविता 'बाबरी मस्जिद का होना' से हुआ जिसमें साझी संस्कृति की परंपरा और विरासत के भाव की अभिव्यक्ति है। वहीं, बाबरी मस्जिद का टूटना इसी भाव पर प्रहार है। कविता वर्तमान दौर और नफ़रत की राजनीति को दृश्यमान करती है। इस मौके पर भगवान स्वरूप कटियार की नई किताबों तथा 'समकालीन जनमत' और 'प्रेरणा अंशु ' के अंकों का भी आदान-प्रदान हुआ। पत्रकार सत्यप्रकाश चौधरी भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
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