नैनीताल न्यूज़: शहर में दो दिन से लगातार हो रही बारिश के पानी के साथ नैनीझील में समा रही गंदगी पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने स्वत संज्ञान लिया है. अदालत ने मामले में एसडीएम नैनीताल, ईओ नगर पालिका और कोतवाल मल्लीताल को कोर्ट में तलब किया. तीनों अधिकारियों को झील की सफाई के लिए पूरी योजना के साथ कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए.
मामले के अनुसार शहर में बारिश के पानी के साथ नैनीझील हो जोड़ने वाले नालों के जरिए झील तक कूड़ा पहुंच रहा है. झील किनारे खाली बोतल, कूड़ा और थैलियों का अंबार लगा हुआ है. कूड़ा नैनीताल के कैचमेंट के 62 नालों के माध्यम से झील तक पहुंच रहा है. इससे झील पूरी तरह दूषित हो रही है. प्रशासन की ओर से इसकी देखरेख नहीं की जा रही है. में कूड़े का अंबार देख न्यायमूर्ति ने नैनीताल की स्वच्छता के लिए की जा रही व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए स्वत संज्ञान लिया. कोर्ट ने नैनीताल के एसडीएम राहुल साह, नगर पालिका के ईओ आलोक उनियाल और कोतवाल धर्मवीर सोलंकी को न्यायालय में अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया. न्यायमूर्ति शर्मा की एकलपीठ ने सभी से गंदगी के निस्तारण के लिए किए जाने वाली कार्रवाई और योजना के बारे में पूछा, लेकिन उनकी ओर से दिए गए जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई. इसपर न्यायालय ने झील को साफ करने के लिए किए जा रहे कार्यों और उपायों के साथ पूर्ण प्लान रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा है.
कूड़ा फेंकने वालों पर नहीं रखी नजर
नगर पालिका और जिला प्रशासन की अनदेखी से झील में गंदगी लगातार बढ़ती जा रही है. नालों के आसपास बने घरों से कूड़ा झील तक पहुंचता है. इसे रोकने के लिए जिला प्रशासन ने पांच साल पहले नालों में गंदगी फेंकने वालों पर नजर रखने को सीसीटीवी कैमरे तो लगा दिए गए पर इनकी देखरेख और जांच नहीं होने से बदस्तूर झील तक गंदगी पहुंच रही है.
नाले ब्रिटिशकाल में बने
नैनीताल में नैनीझील को जोड़ने वाले नाले ब्रिटिशकाल में बनाए गए थे. बसासत शुरू हुई तो लोगों ने नालों के इर्द-गिर्द घर बना लिए. जहां से लोग कूड़ा नालों में फेंक दिया जाता है. जो बारिश के बाद झील तक पहुंचता है. पांच साल पूर्व में जिला प्रशासन की ओर से मल्लीताल क्षेत्र के पांच नालों के पास सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए. लेकिन इनकी देखरेख नहीं हो सकी.
पर्याप्त जालियां नहीं
जिला प्रशासन के निर्देश पर सिंचाई विभाग ने नालों को कवर करने को जालियां लगाई. कुछ जगह लोगों ने जालियां उखाड़ दीं हैं. कई बार स्कूली बच्चों ने नैनी झील के किनारे सफाई अभियान चलाकर कूड़ा निकाला. लेकिन यह प्रयास नाकाफी रहा.