उत्तराखंड

सतपाल महाराज...नंदा राजजात टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी और घपलेबाजी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण

Gulabi Jagat
28 Jan 2023 10:29 AM GMT
सतपाल महाराज...नंदा राजजात टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी और घपलेबाजी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण
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उत्तराखण्ड से एक बड़ी ख़बर सामने आई है। नंदा राजजात की टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी हुई है। जो की बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए ही सरकार ने चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को पद से हटा दिया है।
बता दें, उक्त मामले पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को अपना एक बयान में जारी किया। उन्होंने कहा कि नंदा राजजात जैसी धार्मिक और पवित्र यात्रा जिसमें श्रद्धालु दान देते हैं, उसकी टेंडर प्रक्रिया में मिलीभगत से हेराफेरी और घपलेबाजी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पूरे प्रकरण की जांच के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए ही सरकार ने चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को उनके कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितता के लिए उन्हें पद से हटाया है।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 2012-13 में नंदा देवी राजजात यात्रा के कार्यों के लिए टेंडर कमेटी द्वारा न्यूनतम दर वाली फर्म की निविदाओं को स्वीकृत किए जाने की संस्तुति की थी। इसे नजर अंदाज करते हुए तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी ने अधिक दर वाली फार्म की निविदाओं को स्वीकृति देने के साथ ही उससे काम भी करवा लिया गया। 2013 में जिला पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जब मामला उजागर हुआ, तो उस दौरान मुख्य प्रशासक के रूप में तैनात जिलाधिकारी चमोली ने मामले का संज्ञान लेते हुए टेंडर प्रक्रिया में खामियों को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि अब चूंकि आवंटित कार्य पूरा किया जा चुका था, इसलिए उन्होंने कार्यदायी फर्म को स्पष्ट कहा कि जो न्यूनतम रेट टेंडर कमेटी ने तय किए थे, उससे अधिक की दर पर किसी भी सूरत मैं भुगतान नहीं होगा। क्योंकि यह टेंडर कि गलत हुआ है। महाराज ने कहा कि जब कार्य का भुगतान न्यूनतम दरों पर ही किया जाना था, तो निविदा प्रक्रिया के दौरान न्यूनतम दरों पर काम करने वाले फर्म को कार्य का टेंडर आवंटित न कर, ऊंची दरों पर कार्य करने वाली फर्म को टेंडर देकर उसे न्यूनतम दरों का भुगतान किया जाना जिला पंचायत अध्यक्ष की मिलीभगत व भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है?
उन्होंने कहा कि टेंडर प्रक्रिया में जिस प्रकार से घालमेल हुआ है, उससे स्पष्ट है कि भले ही इसमें वित्तीय अनियमितता न हुई हो, लेकिन न्यूनतम दरों पर काम करने वाली फार्म के हितों का अतिक्रमण तो हुआ ही है। इतना ही नहीं, यह नियमों की अनदेखी और व्यक्तिगत लाभ को भी स्पष्ट दर्शाता है। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष का यह कहना सरासर गलत है कि उन्हें इस प्रकरण में क्लीन चिट मिली हुई है।
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