Kanwar Yatra 2022: कांवड़ यात्रा के चलते रोडवेज ने दिल्ली की बसों का रूट बदल दिया है। अब बसें करनाल (हरियाणा) होकर दिल्ली पहुंच रही है। यहां से यात्रियों को 41 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। साधाराण बसों के किराया में तीस रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है।
कांवड़ यात्रा में दून-मेरठ-दिल्ली पर यात्रियों की भीड़ बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से पुलिस ने बुधवार से दिल्ली जाने और वहां से आने वाली बसों का रूट बदल बदल दिया है। अब दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद और जयपुर की बसें वाया पांवटा साहिब-करनाल से आवाजाही जा रही हैं।
यहां से बसों को 41 किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। देहरादून से वाया रुड़की दिल्ली की दूरी 258 किमी है, जो अब बढ़कर 317 किमी हो गई है। इसी हिसाब से किराया भी बढ़ गया है। साधारण बस का दिल्ली का किराया 375 से 405, एसी जनरथ का 525 से 604 और वॉल्वो का 888 रुपये से 919 रुपये हो गया है।
महाप्रबंधक (संचालन) दीपक जैन ने बताया कि किराया बढ़ोतरी केवल रूट डायवर्जन तक ही लागू रहेगी। यात्रा समाप्त होने के बाद जैसे ही पुराने रूट पर रोडवेज बसें चलेंगी, वैसे ही किराया भी पूर्व की भांति कम हो जाएगा।
पंचक हटते ही पहुंचा कांवड़ियों का हुजूम
पंचक हटते ही धर्मनगरी में कांवड़ियों का रैला पहुंच गया। दिल्ली और हरियाणा के कांवड़ियों का बड़ी संख्या में आगमन हुआ। बड़ी संख्या में कांवड़ियों के आने से धर्मनगरी खचाखच भरी दिखाई दी। प्रशासन ने बुधवार को 25 लाख कांवड़ियों के पहुंचने का दावा किया है।
पंचक बुधवार को हट गए। पंचक में कांवड़ न उठाने वाले क्षेत्रों के भी लाखों कांवड़िए मंगलवार को ही हरिद्वार पहुंच गए थे। बुधवार सवेरे से बड़ी संख्या में हरियाणा, पंजाब और दिल्ली से कांवड़ियों का आगमन प्रारंभ हो गया। हाईवे से लेकर शहर का कोना-कोना भोले के जयकारों से गूंज उठा।
कांवड़ पटरी पर शिवभक्तों का कारवां अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा है। डीजे की धुन पर नृत्य करते हुए भोले के भक्तों का सैलाब हाईवे पर आरक्षित लेन में दिखाई दे रहा था। रंग-बिरंगी कांवड़ को देखने के लिए हाईवे के दोनों तरफ लोगों की भीड़ जुट रही है। हाईवे पर कांवड़ियों की भीड़ को देखते हुए पुलिस भी चप्पे-चप्पे पर तैनात है।
दोपहर बाद कांवड़ियों की वापसी भी शुरू हो गई। कांवड़ यात्रा के समापन में अब केवल छह दिन शेष रह गए हैं। परिणामस्वरूप दूर जाने वाले कांवड़ियों की वापसी अगले दो दिनों में हो जाएगी। उसके बाद केवल यूपी और हरियाणा के कांवड़िए शेष रह जाएंगे। 26 जुलाई को शिवालयों में शिवरात्रि के मौके पर जल चढ़ाया जाना है। जिसके साथ ही मेले का समापन भी होगा।