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वीपीडीओ और वीडीओ की वर्ष 2015-16 में हुई भर्ती में धांधली की जांच भी एसटीएफ करेगी। अब तक विजिलेंस इस मामले की जांच कर रही थी। लेकिन, सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर डीजीपी अशोक कुमार ने यह जांच एसटीएफ को सौंप दी है। पिछले दिनों 'हिन्दुस्तान' ने एसटीएफ की जांच में तेजी और विजिलेंस की सुस्ती को लेकर प्रमुखता से रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
शनिवार को डीजीपी अशोक कुमार ने जानकारी दी कि सीएम के निर्देश पर एसटीएफ को इस भर्ती की जांच तेजी से पूरी करने और आरोपियों को जल्द सलाखों के पीछे पहुंचाने के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय और सचिवालय रक्षक भर्ती में एसटीएफ ने जिस तरह काम किया, उससे देशभर में उत्तराखंड एसटीएफ चर्चाओं में आई।
बकौल डीजीपी, तकनीकी दक्षता, सर्विलांस और साइबर की उच्च तकनीक अपनाकर आरोपियों को पुख्ता सबूतों के बाद पकड़ा गया। अब एसटीएफ को कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियरी) 2021 और वीपीडीओ की 2015-16 की भर्ती की जांच तेजी से पूरी करने को कह दिया गया है। डीजीपी खुद रोज इन जांचों की समीक्षा भी कर रहे हैं। बता दें कि, 2015-16 की वीपीडीओ भर्ती मामले में विजिलेंस ने 2020 जनवरी को मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन, करीब ढाई साल बीतने पर वह इसकी जांच पूरी नहीं कर पाई। इसके चलते ही सीएम ने यह जांच एसटीएफ को देने के निर्देश दिए।
सीएम के निर्देश पर इस भर्ती की जांच भी एसटीएफ को दे दी गई है। उसे तेजी से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। उम्मीद है कि इसका भी जल्द खुलासा होगा। अब तक की दो जांचों में एसटीएफ ने एक महीने के भीतर तकनीकी दक्षता, तुरंत कार्रवाई और सटीक विवेचना से 27 से ज्यादा गिरफ्तारियां कीं, जो वाकई अब तक की सबसे अच्छी पुलिसिंग का नतीजा है।
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