देहरादून न्यूज़: ऊर्जा निगम में असिस्टेंट इंजीनियर से एक्सईएन पद पर प्रमोशन लटकाने के दोषियों को चिन्हित कर जुर्माना वसूला जाएगा. प्रबंधतंत्र ने इसके लिए चार सदस्यीय जांच समिति बनाई है.
ऊर्जा निगम में 2015 से असिस्टेंट इंजीनियर पद पर वरिष्ठता विवाद चल रहा है. 2017 में इसी विवाद में पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल से जेई संवर्ग के पक्ष में फैसला आया. ट्रिब्यूनल ने वरिष्ठता में सीधी भर्ती के एई का ट्रेनिंग का समय शामिल न करने के आदेश दिए थे. इस आदेश को प्रबंधतंत्र ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने ट्रेनिंग का समय हटाकर वरिष्ठता निर्धारित कर बंद लिफाफे में जमा कराने के आदेश दिए थे. 19 फरवरी 2018 को कोर्ट में बंद लिफाफे जमा कराए गए, लेकिन इसके बाद भी प्रकरण कोर्ट में चलता रहा. गत 31 मार्च को हाईकोर्ट ने यूपीसीएल को अपने स्तर पर वरिष्ठता निर्धारण कर प्रमोशन के आदेश दिए पर यूपीसीएल ने कोई कदम नहीं उठाया . इसके बाद नौ जून को कोर्ट ने प्रबंधतंत्र पर एक लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया. अब प्रबंधतंत्र ने जुर्माने के लिए दोषी अफसरों को चिन्हित करने के लिए जांच समिति बना दी है.
जांच समिति पर भी उठे सवाल जांच समिति भी सवालों के घेरे में है. वरिष्ठता निर्धारण, प्रमोशन में देरी के लिए वर्ष 2017 से लेकर मौजूदा समय तक कई अफसर जिम्मेदार हैं. कई बार निदेशकों की समिति बनी, जो फैसला नहीं ले पाई. दूसरी ओर एमडी-निदेशक स्तर के अफसरों को लेकर किसी भी तरह की जांच का अधिकार सिर्फ शासन का है.