नैनीताल न्यूज़: उत्तराखंड के हल्द्वानी समेत चारों राजकीय मेडिकल कॉलेजों से शासन ने उन डॉक्टरों की लिस्ट मांगी है जो तबादले के बाद भी सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए बैठे हैं. इससे नियमविरुद्ध सरकारी आवासों में रह रहे डॉक्टरों में हड़कंप मचा हुआ है. माना यह जा रहा है कि लंबे समय से आवासों में रह रहे डॉक्टरों से रिकवरी की कार्रवाई हो सकती है.
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में तैनात डॉक्टरों को परिसर में टाइप-4 आवासों का आवंटन किया जाता है. यहां तैनात रहे कई डॉक्टरों का अलग-अलग जगहों पर स्थानांतरण हो चुका है. लेकिन 16 डॉक्टरों ने अभी तक अपने सरकारी आवास खाली नहीं किए हैं. कॉलेज प्रशासन डॉक्टरों को आवास खाली करने को पूर्व में नोटिस भी दे चुका है लेकिन किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया. इधर एक जनहित याचिका को लेकर संयुक्त सचिव अरविंद सिंह पांगती ने सभी मेडिकल कॉलेजों से नियमविरुद्ध आवासों में रह रहे डॉक्टरों की लिस्ट मांगी है. राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी ने 16 डॉक्टरों की लिस्ट निदेशालय को भेज दी हैं. इनमें एक प्राचार्य भी बताए जा रहे हैं.
जनहित याचिका ने बनाई कार्रवाई की भूमिका
संयुक्त सचिव ने सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को जारी पत्र में सुनील प्रसाद भट्ट की हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका का हवाला दिया है. भट्ट ने टिहरी स्थित सरकारी आवासों में अवैध रूप से रह रहे लोगों के विरुद्ध याचिका लगाई थी. जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार को राज्य के सभी जनपदों में सरकारी आवासों में अवैध रूप से रह रहे लोगों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. इस क्रम में चिकित्सा शिक्षा निदेशालय व समस्त प्राचार्य से रिपोर्ट मांगी है.
निदेशालय ने ऐसे डॉक्टरों की रिपोर्ट मांगी थी जिनका ट्रांसफर हो चुका है और इसके बावजूद वह कॉलेज के सरकारी आवास में रह रहे हैं. ऐसे करीब 15-16 डॉक्टर हैं, इनकी डिटेल निदेशालय को भेज दी गई है. - डॉ अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी