उत्तराखंड
नजूल विधेयक को राष्ट्रपति भवन ने लौटाया, नजूल भूमि के प्रबंधन और आवंटन पर ग्रहण
Gulabi Jagat
16 July 2022 10:21 AM GMT

x
राष्ट्रपति भवन ने लौटाया
प्रदेश में नजूल भूमि के प्रबंधन और आवंटन पर ठोस कानून बनाने में पेंच फंस गया है। राजभवन के जरिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया नजूल विधेयक वापस लौट आया है। राष्ट्रपति भवन से विधेयक विचार के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया था, लेकिन केंद्र ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए, इसे मंजूर नहीं किया है।
धामी 01 सरकार के अंतिम सत्र में विधानसभा से नजूल विधेयक पारित कर मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया था। लेकिन नजूल का विषय केंद्रीय सूची में शामिल होने के कारण, राजभवन ने विधेयक को अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन के जरिए केंद्रीय शहरी विकास और आवासन मंत्रालय भेज दिया था।
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों राज्य से नजूल पर नया कानून लाने का औचित्य स्पष्ट करने के साथ ही विधेयक के कुछ प्रावधानों पर स्पष्टीकरण देने को कहा था। कई दौर के मंथन के बाद, केंद्र सरकार ने उक्त विधेयक वापस लौटा दिया है। सम्पर्क करने पर अपर मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि केंद्र से विधेयक पर सहमति नहीं हो पाई। अब नए सिरे से विचार करेंगे।
करीब चार लाख हेक्टेयर है नजूल भूमि
प्रदेश बड़े जिलों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर के शहरों में सबसे अधिक नजूल भूमि है। आवास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है। इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं। कहीं भूमि लीज पर है तो कहीं इस पर दशकों से कब्जे हैं। सरकार विधिवत कानून बनाकर इस भूमि को फ्री होल्ड करने या नए पट्टे देने की प्रक्रिया शुरू करना चाहती है।
इन शहरों में नजूल नीति बड़ा मद्दा भी बनता रहा है। हालांकि सरकार इस बीच नजूल नियमावली तैयार कर चुकी है, इस कारण नजूल पर फ्री होल्ड की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है, लेकिन इस पर कोई विवाद न हो इसके लिए सरकार ठोस कानून बनाने का प्रयास कर रही है।

Gulabi Jagat
Next Story