दुर्लभ वृक्ष प्रजाति संरक्षण केंद्र और कैक्टी कन्जर्वेशन सेंटर खंडहर में हो रहा तब्दील
हल्द्वानी: हल्द्वानी के गौलापार स्थित सुल्ताननगरी छकाता रेंज के अंतर्गत आने वाले वन विभाग का दुर्लभ वृक्ष प्रजाति संरक्षण केंद्र और कैक्टी कन्जर्वेशन सेंटर का कोई सुधलेवा नहीं है। हाईवे से सटे इस सेंटर का कोई सुधलेवा नहीं है मानो विभाग ने इस तरफ से आंखे मूंद ली हों।
एक माली अकेले ही सीमित संसाधनों से काम चला रहा है जबकि इसे 2015 में जिस उद्देश्य से स्थापित किया गया था वह उद्देश्य तत्कालीन डीएफओ डॉ. चंद्रशेखर सनवाल के जाने के बाद सही से निभाया नहीं जा सका। यहां कार्यरत इकलौते माली का कहना है कि कभी कभार अधिकारी आकर हाल जान लेते हैं मगर इसको संवारने के लिए किसी ने ही सोचा। इन दो पार्कों में एक पार्क में दुर्लभ वृक्ष प्रजाति संरक्षित किए गए हैं जो अब धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं।
जबकि दूसरे पार्क में कैक्टस की सात किस्मों को संजोया गया है जो काफी आकर्षक हैं। वहीं दोनों ही पार्कों की हालत जीर्णशीर्ण भी हो चुकी है माली बाल किशन ने बताया कि हाथियों के तांडव के चलते एक हट भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिसे अभी तक दोबारा नहीं बनाया जा सका है। पार्क का गेट और फैंसिंग भी जगह-जगह से टूटे हुई हैं जिससे कई बार मवेशी अंदर घुस जाते हैं और संरक्षित पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
आपको बता दें कि इस संरक्षण केंद्र में औषधि,जंगली फल,चारा, छोटी झाड़ियां,जिज्ञासा वर्धक प्रजातियों के अलावा तैलीय प्रजाति के पेड़-पौधे संरक्षित किए गए हैं मगर लगातार मॉनीटरिंग न होने के चलते अब यह खंडहर का स्वरुप लेता जा रहा है। उधर इस मामले में डीएफओ बाबू लाल का कहना है कि इन दोनों ही केंद्रों को संवारने के लिए संबंधित अधिकारियों को आदेश दिए जा चुके हैं जल्द इनका जीर्णोद्धार का कार्य आरंभ कर लिया जाएगा और इसे आम जनता के लिए भी खोला जाएगा ताकि वह भी पौधों की प्रजातियों को समझ सकें और संरक्षण में योगदान दे सकें।