देवभूमि हल्द्वानी: रक्षा बंधन को लेकर लगातार संशय बना हुआ है। लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि राखी 11 अगस्त को मनाया जाएगा या फिर 12 अगस्त को। इस बात को लेकर पर्व निर्णय महासभा के महासचिव नवीन जोशी ने बताया कि रक्षाबंधन श्रावणी उपाकर्म को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। यह विडंबना है कि हिंदू धर्म में कई पर्वों को लेकर एकरूपता देखने को नहीं मिलती है। उन्होंने बताया कि पंचांगों में मतभेदों के चलते ब्राह्मणों में पर्व मनाने को लेकर समाजस्य नहीं बन पा रहा है। पूरा भारत वर्ष एक दिन पर्व मनाता है। जबकि, एक क्षेत्र विशेष के लोग अगले दिन पर्व मनाते हैं। उनका कहना है कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए हम सभी को एक मत होना अलग-अलग दिन पर्व मनाने से हिंदू समाज विखंडित हो रहा है। हिंदू धर्म की रक्षा और अखंडता के लिए विद्वानों का कर्तव्य होता है कि हम एकमत होकर धर्म की रक्षा करें। हिंदू पर्वो पर एकमत होकर उत्सव मनाएं। उन्होंने 'व्रत पर्व विवेक' में 2022 के लिए रक्षाबंधन तिथि 12 अगस्त ही निर्धारित की हैं।
11 को क्यों मनाया जाना चाहिए राखी पर्व: रक्षा बंधन और श्रावणी उपाकर्म में पूर्णिमा तिथि व श्रवण नक्षत्र का होना आवश्यक माना गया है। इस वर्ष 11 अगस्त को 10:39 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है, जो पूरे दिन व्याप्त है। जबकि श्रवण नक्षत्र सुबह 6:53 से शुरू हो जाएगा। कई जातकों का इसमें प्रश्न है कि उत्तराषाढ़ा युक्त श्रवण नक्षत्र में उपा कर्म रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। आचार्य भोलादत्त भट्ट का मानना है कि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दो मुहूर्त यदि हो तो उसका दुष्प्रभाव होता है, लेकिन रक्षाबंधन के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र केवल 5 मिनट तक रहेगा जबकि एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है। यह तथ्य भी यहां पर लागू नहीं होता है। इसके अतिरिक्त धर्मसिंधु में कहा गया है यजुर्वेदियों के लिए नक्षत्र की प्रधानता नहीं बल्कि तिथि की प्रधानता देखी जाती है और पूर्णिमा 11 अगस्त को व्याप्त है और 12 अगस्त को पूर्णिमा तीन मुहूर्त नहीं होने के कारण रक्षाबंधन, उपाकर्म संस्कार मनाना शास्त्र सम्मत नहीं है।