उत्तराखंड

उत्तराखंड में बारिश बनी आफत! न खाना-पानी, डर में कटे 20 घंटे, दिल्ली के पर्यटकों ने रिजॉर्ट में गुजारी खौफनाक रात

Renuka Sahu
21 Aug 2022 4:21 AM GMT
Rain became a disaster in Uttarakhand! No food and water, 20 hours spent in fear, Delhi tourists spent a dreadful night in the resort
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फाइल फोटो 

हमें क्या पता था कि जिस रिजॉर्ट में परिवार के साथ मौज-मस्ती करने आए, वहां मुसीबत आ जाएगी। ऐसी मुसीबत की जिंदा बचने की कोई उम्मीद नहीं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमें क्या पता था कि जिस रिजॉर्ट में परिवार के साथ मौज-मस्ती करने आए, वहां मुसीबत आ जाएगी। ऐसी मुसीबत की जिंदा बचने की कोई उम्मीद नहीं। रिजॉर्ट में पानी घुसने पर जंगल में रात बिताई। छोटे बच्चे डर के मारे बिलख उठे। महिलाएं रोने लगीं। रात खौफनाक कटी और दिनभर मदद का इंतजार करते रहे। शनिवार रात आठ बजे जाकर 24 को रेस्क्यू किया गया।

बांदल घाटी में सीतापुर स्थित जंगल गदेरा रिजॉर्ट से रेस्क्यू किए गए रोहणी दिल्ली के अमित वत्स, मोहित ने आपबीती बताई। उन्होंने बताया कि हम 20 लोगों का ग्रुप गुरुवार से यहां रिजॉर्ट में आ गया था। सभी परिवारवाले थे। इसमें दो साल से लेकर 12-13 साल तक के आठ बच्चे थे।
बाकी रिजॉर्ट में दिल्ली के चार पर्यटक भी थे। शुक्रवार रात लगभग 11 बजे तेज बारिश होने लगी। तब हमने इसे सामान्य समझा। सभी अपने-अपने कमरों में सो गए। करीब 12 बजे अचानक कीचन की तरफ से स्टाफ दौड़ता हुआ आया। देखते ही देखते रिजॉर्ट में नदी का पानी घुस गया।
बिजली चली गई। सभी लोग रिजॉर्ट छोड़ ऊपर भागे। एक तिरपाल हाथ लगा, उसे लेकर रिजॉर्ट के ऊपर पहाड़ी पर चढ़ गए। पेड़ों के सहारे तिरपाल बांध आठ बच्चों को उसके नीचे रखा। तब फोन काम कर रहे थे। हमने दिल्ली अपने रिश्तेदारों को फोन लगाकर उत्तराखंड के हेल्पलाइन नंबर मांगे, लेकिन हमें रात को कोई मदद नहीं मिली।
लगा कि अब नहीं बच पाएंगे। महिलाएं तो इतनी डरीं कि केदारघाटी की आपदा का मंजर आंखों में तैरने लगा। सुबह पांच बजे तक जंगल में भीगते रहे। सुबह नदी में पानी कम होने के बाद नीचे रिजॉर्ट में आए। यहां खाने-पीने का सामान बह गया था। भूखे-प्यासे मदद का इंतजार करते रहे।
दोपहर 12 बजे नदी के दूसरे छोर पर रिजॉर्ट मालिक अरुण शर्मा खाने-पीने का सामान लेकर पहुंचे, पर, हम तक सामान न पहुंचा सके। दोपहर एक बजे एसडीआरएफ की टीम ने रस्सी के सहारे भुने चने और लस्सी पहुंचाई। शाम को छह बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ। एक नदी के तरफ पेड़ और दूसरी तरफ रिजॉर्ट में लगे लोहे के एंगल पर रस्सी बांधी गई।
इसके बाद एक-एक करके सभी को निकाला गया। इधर, स्थानीय लोगों का आरोप था कि राहत और बचाव कार्य में टिहरी-देहरादून जिले की सीमाएं आड़े आई। उधर, जंगल गदेरे के पास एक अन्य रिजॉर्ट में भी करीब 50 पर्यटक फंसे हुए हैं।
कम पड़ गए इंतजाम
अमित वत्स और मोहित ने बताया कि दिन में बचाव टीमें पहुंची, लेकिन पूरे संसाधन नहीं थे। रस्सी तक पूरी न पड़ी। पूरे संसाधन होते तो उन्हें दिन में ही निकाला जा सकता था। रात को एसडीआरएफ ने एनडीआरएफ और सेना की मदद से उन्हें निकाला।
रस्सी पर लटकी मां-बच्चा
रस्सी के सहारे नदी के इस छोर से दूसरे छोर पर लाना कम खतरनाक नहीं था। दो साल का बच्चा और उसकी मां बीच नदी में झूल गई। किसी तरह रस्सी खींच उन्हें बचाया गया।
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