उत्तर प्रदेश

यूपी में भी कई ठिकानों पर छापे शुरू, चर्चित आईएएस डॉ. रामविलास यादव के ठिकानों पर रिटायरमेंट से ठीक पहले उत्तराखण्ड विजिलेंस की छापेमारी

Admin4
11 Jun 2022 9:29 AM GMT
यूपी में भी कई ठिकानों पर छापे शुरू, चर्चित आईएएस डॉ. रामविलास यादव के ठिकानों पर रिटायरमेंट से ठीक पहले उत्तराखण्ड विजिलेंस की छापेमारी
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यूपी में भी कई ठिकानों पर छापे शुरू, चर्चित आईएएस डॉ. रामविलास यादव के ठिकानों पर रिटायरमेंट से ठीक पहले उत्तराखण्ड विजिलेंस की छापेमारी

शनिवार को उत्तराखण्ड विजिलेंस ने आय से अधिक संपत्ति मामले में आईएएस रामविलास यादव को घेर लिया. देहरादून सहित उनके तमाम ठिकानों पर छापों से प्रशासनिक सेवा से जुड़े कुछ अन्य अफसरों के भी कान खड़े हुए गए हैं. उत्तराखण्ड सरकार द्वारा बीते कुछ महीनों में हाल-फिलहाल यह ऐसा पहला मामला आया है जिसको लेकर सूबे में चर्चाओं का बाजार गरम हुआ हो. और राज्य सरकार की विजिलेंस के शिकंजे में कोई बड़ी मछली फंसी हो. ऐसा नहीं है कि हाई-प्रोफाइल आईएसएस में शुमार रामविलास यादव पर अचानक ही शिंकजा कस दिया गया है. खुफिया तौर से इनके खिलाफ करीब तीन महीने से उत्तराखण्ड विजिलेंस खबरें सबूत पुख्ता करने में जुटी हुई थी. उधर इस खबर की पुष्टि टीवी9 भारतवर्ष से उत्तराखण्ड के महानिदेशक सतर्कता अमित सिन्हा ने भी की है.

हाल ही में जैसे ही राज्य उत्तराखण्ड की आंतरिक खुफिया तफ्तीश पूरी हुई और उसके पास मजबूत सबूत पहुंच गए तो. उसने राम विलास यादव को पेश होने के लिए नोटिस जारी कर दिया था. जिसे संबंधित आईएएस ने नजरअंदाज कर दिया था. लिहाजा शनिवार सुबह से ही राज्य विजिलेंस की कई टीमों ने उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में करीब 7-8 ठिकानों पर छापामारी शुरू कर दी. हालंकि शनिवार दोपहर बाद तक आरोपी आईएएस के बारे में कुछ पुष्ट नहीं हो सका है कि वे कहां हैं? मीडिया में अपने ठिकानो पर हो रही छापों की खबर के बाद भी चर्चित आईएएस चुप्पी साधे हुए हैं. उत्तराखण्ड राज्य सतर्कता विभाग के देहरादून में मौजूद एक उच्च पदस्थ सूत्र ने टीवी9 भारतवर्ष को दोपहर बाद कहा,"अभी कुछ ठोस कह पाना मुश्किल है. सिवाए इसके कि हम लोग अलग-अलग जगहों पर छापामारी कर रहे हैं. इन टीमों में 50 से ज्यादा अधिकारी कर्मचारियों मौजूद हैं,"
सन् 2019 में शुरू हुई थी जांच
यहां उल्लेखनीय है कि राम विलास यादव के खिलाफ 19 अप्रैल को ही विजिलेंस ने अपने यहां मुकदमा दर्ज किया था. सूत्रों के मुताबिक अब तक जो तथ्य सामने आए हैं उनसे अनुमान लगाया जा सकता है कि यह, आय से 500 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा आने वाले दिनों की जांच में निकल सकता है. यहां यह भी जिक्र करना जरूरी है कि आईएएस रामविलास यादव के ऊपर आय से अधिक संंपत्ति जमा करने के आरोप में उत्तराखण्ड राज्य विजिलेंस ने उनके रिटारयमेंट से ठीक पहले की है. वे आईएएस सेवा से 30 जून 2022 को ही रिटायर होने वाले हैं. दरअसल आईएएस रामविलास यादव का मूल आईएएस कैडर 2019 यूपी था. बाद में वे उत्तराखंड राज्य सरकार में चले आए थे. राज्य सरकार ने 9 जनवरी 2019 को विजिलेंस को उनके खिलाफ जांच करने के आदेश दिए थे. बार-बार बुलाए जाने के बावजूद भी मगर वे विजिलेंस टीम के सामने पेश नहीं हुए थे.
उत्तराखण्ड डीजी विजिलेंस ने कहा
इस बारे में आईएएस अधिकारी डॉ. रामविलास की तरफ से खबर लिखे जाने तक कोई अधिकृत बयान जारी नही हुआ है. उत्तराखण्ड राज्य के महानिदेशक सतर्कता अमित सिन्हा ने टीवी9 भारतवर्ष से फोन पर जरूर घटनाक्रम की पुष्टि की. उन्होंने कहा, "हां, उनके यूपी में (लखनऊ, गाजीपुर) और उत्तराखण्ड में कुछ स्थानो पर टीमें जांच कर रही हैं. जांच पूरी होने पाने से पहले इससे ज्यादा फिलहाल कुछ पुष्ट रूप से बोल पाना मुश्किल है." बताना जरूरी है कि आईएएस रामविलास यादव पूर्व में उत्तर प्रदेश सरकार में नियुक्ति के वक्त, सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण और यूपी के एडिशनल डायरेक्टर मंडी परिषद के पद पर भी रह चुके हैं. इस वक्त वे उत्तराखण्ड सरकार में ग्राम विकास विभाग सचिव के पद पर कार्यरत हैं.
खबरें यह भी निकल कर आ रहीं
उनके खिलाफ इस छापेमारी का काम हेमंत कुमार मिश्रा की शिकायत के आधार पर, विजलेंस उत्तराखंड द्वारा की गई जांच के बाद किया गया है. कहा जाता है कि यूपी में तैनाती के दौरान वे तत्कालीन राज्य हुकूमत के करीबी और चहेते भी रहे थे. हालांकि यह सब सुनी-सुनाई बातें हैं. इस तरह की बातों की अमूमन पुष्टि होती भी नहीं है. खबर लिखे जाने के दौरान ही अभी-अभी पता यह भी चला है कि आईएएस रामविलास यादव के, पुरनिया स्थित दिलकश विहार रानी कोठी सीतापुर रोड लखनऊ, गुडम्बा, कुर्सी रोड स्थित जनता विद्यालय में भी उत्तराखंड विजिलेंस ने छापे मारे हैं.


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