मौसम खराब होने पर प्रधानाचार्य को दिया जाए अवकाश का अधिकार
नैनीताल न्यूज़: आपदा के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में स्कूलों में मानसून के दौरान अवकाश के मुद्दे पर शिक्षक एकमत नहीं हैं. शिक्षकों का एक वर्ग जहां इसके समर्थन में है, वहीं कुछ ने इस पर सवाल भी उठाए हैं. विरोध-समर्थन के बीच एक सुझाव यह भी आया कि छुट्टी देने का अधिकार स्कूल के प्रधानाचार्य को दिया जाए.
मानसून के दौरान राज्य में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाती हैं. पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश ने मानसून के दौरान छात्रों और स्कूल स्टाफ की सुरक्षा के लिए कुछ क्षेत्रों में मानसून में अवकाश की व्यवस्था कर रखी है. विभाग ने भी इस पर विचार शुरू कर दिया. इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक संघ की तदर्थ समिति के प्रदेश संयुक्त महामंत्री राजेंद्र सिंह गुंसाई ने कहा कि जुलाई का अवकाश छात्रों-शिक्षकों की सुरक्षा को उपयोगी होगा. कल्पना बिष्ट ने कहा कि मानसून में शिक्षक-छात्रों को बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. ऐसे में मानसून के दौरान अवकाश वक्त की जरूरत है.
शिक्षक संघ के पूर्व प्रांतीय उपाध्यक्ष मुकेश प्रसाद बहुगुणा ने कहा,अवकाश पर किसी भी नये निर्णय से पहले सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाए. बकौल बहुगुणा, उक्त विचार तो बेहतर है पर ज्यादा व्यावहारिक यह होगा कि खराब मौसम में स्कूलों के अवकाश की घोषणा का अधिकार तहसीलदार, खंड शिक्षा अधिकारी, प्रधानाचार्य आदि को दे दिया जाय.
अध्यापक जितेन बिष्ट का कहना है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश बंद कर उस की जगह शिक्षकों को ईएल दी जाए. मनमोहन शर्मा का कहना है कि गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी की जगह शिक्षकों को अन्य कार्मिकों की तरह 31उपार्जित अवकाश देने की व्यवस्था लागू हो. डीएन भट्ट ने कहा कि मानसून तीन माह चलता है. इतने दिन का अवकाश मुमकिन नहीं. नया प्रयोग सभी पहलुओं पर गंभीरता से मंथन के बाद ही बेहतर होगा. भट्ट ने सुझाव भी दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रीष्मावकाश एक से 10 जुलाई तक किया जा सकता है.