उत्तराखंड

उत्तराखंड में बिजली संकट गहराया, अब अघोषित कटौती से छूटेंगे पसीने, जानें डिमांड-उत्पादन

Renuka Sahu
26 March 2022 5:06 AM GMT
उत्तराखंड में बिजली संकट गहराया, अब अघोषित कटौती से छूटेंगे पसीने, जानें डिमांड-उत्पादन
x

फाइल फोटो 

उत्तराखंड में अचानक से बिजली संकट गहरा गया है। इसके कारण राज्य में अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड में अचानक से बिजली संकट गहरा गया है। इसके कारण राज्य में अघोषित बिजली कटौती शुरू हो गई है। कटौती का असर राज्य में उद्योग, ग्रामीण क्षेत्रों समेत छोटे शहरों पर पड़ रहा है। प्रतिदिन डेढ़ से साढ़े छह घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। बिजली की मांग अचानक बढ़ गई है।

40 मिलियन यूनिट की मांग के सापेक्ष 31 मिलियन यूनिट ही बिजली उपलब्ध हो पा रही है। बाजार में भी बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जो उपलब्ध भी हो रही है, उसके दाम भी रिकॉर्ड 20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गए हैं। इस समय यूजेवीएनएल से यूपीसीएल को प्रति दिन 13.5 मिलियन यूनिट बिजली मिल पा रही है। जबकि डिमांड 40 मिलियन यूनिट के करीब है।
केंद्रीय पूल, रायल्टी समेत सभी विकल्पों को मिला कर भी 31 मिलियन यूनिट बिजली ही उपलब्ध हो पा रही है। शेष 9 मिलियन यूनिट बिजली बाजार से जुटाई जा रही है। बाजार से पर्याप्त बिजली उपलब्ध न होने पर रोस्टिंग करनी पड़ रही है। इसका असर राज्य के बड़े शहरों देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल के शहरी क्षेत्र को छोड़ कर सब जगह पड़ रहा है।
एक दिन में 15 करोड़ तक की बिजली खरीद : बिजली का संकट पिछले चार दिनों से ही पैदा हुआ है। इस दौरान यूपीसीएल को एक दिन में 15 करोड़ तक की बिजली खरीदनी पड़ रही है। चार दिनों में यूपीसीएल 60 करोड़ की बिजली खरीद चुका है। बिजली की मांग और उपलब्धता में यही अंतर रहने और बाजार में बिजली के रेट इसी तरह बढ़े रहने पर यूपीसीएल में आर्थिक संकट गहरा सकता है। उपलब्धता कम होने पर बिजली कटौती और बढ़ सकती है।
बड़े शहरों को छोड़ सब जगह कटौती: इस समय राज्य के शहरी क्षेत्र को छोड़ कर अधिकतर जगह कटौती हो रही है। पहले उद्योगों में तीन से साढ़े तीन घंटे की कटौती की गई। बाद में छह से साढ़े छह घंटे तक की कटौती करनी पड़ी। राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से साढ़े तीन घंटे तक की कटौती हो रही है। छोटे शहरों में यही कटौती डेढ़ से दो घंटे तक की जा रही है।
गैस, कोल के रेट भी बढ़े: देश में गैस और कोल के रेट बढ़ने से भी बिजली का संकट बढ़ा है। गैस के दाम बढ़ने से देश के बढ़े प्लांट दादरी, अंता और औरेया में बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसी तरह कोल के रेट बढ़ने से कोल से जुड़े पॉवर प्लांट में भी बिजली उत्पादन कम हुआ है।
एक माह पहले आया संकट
राज्य में बिजली की मांग आमतौर पर अप्रैल अंतिम सप्ताह में बढ़ती थी। उसी दौरान बिजली की मांग 40 मिलियन यूनिट के पार पहुंचती थी। इस बार मार्च अंतिम सप्ताह में ही बिजली की मांग में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो गई है। मांग और उपलब्धता में भी नौ से 10 मिलियन यूनिट का अंतर आ रहा है।
बाजार में 20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंचा रेट
इस बार बिजली बाजार में भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। एनर्जी एक्सचेंज में भी बिजली के रेट न्यूनतम साढ़े चार रुपये से लेकर अधिकतम 20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गए हैं। एक्सचेंज में बिजली का रेट अधिकतम 20 रुपये प्रति यूनिट ही रहता है। एक्सचेंज में बिजली के रेट हर 15 मिनट में बदल जाते हैं। अलग-अलग कुल 96 ब्लॉक तय होते हैं। इसमें अधिकतर ब्लॉक में बिजली के रेट 20 रुपये प्रति यूनिट ही हैं। ऐसे में मजबूरन 20 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली खरीदनी पड़ रही है।
चार दिनों में बिजली की मांग में अचानक उछाल आया है। बिजली की उपलब्धता भी पूरे देश में कम हुई है। उपलब्धता कम होने से बाजार में बिजली के रेट बढ़ गए हैं। रेट प्रति यूनिट 20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गए हैं। इसके बाद भी लोगों को पर्याप्त बिजली देने का प्रयास किया जा रहा है।
Next Story