नैनीताल न्यूज़: फोन पर खुद को ट्रेजरी अफसर बता रिटायर सरकारी डॉक्टर से 10.50 लाख रुपये ठगने के आरोपी को पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया. आरोपी ने पेंशन बनवाने का झांसा देकर डॉक्टर के खाते से रकम अपने यहां ट्रांसफर की थी. आरोपी पर कोलकाता में भी ठगी का केस दर्ज है.
एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि हल्द्वानी के रिटायर डॉक्टर हरीश लाल को अक्तूबर 2022 में कॉल आई. फोन करने वाले ने खुद को ट्रेजरी अफसर बताया था. हरीश कुछ दिन पहले रिटायर हुए थे. उनकी पेंशन बननी थी. ट्रेजरी अफसर का फोन समझकर वह असानी से ठग के जाल में फंस गए. ठग ने उनके फोन को रिमोट एक्सेस ऐप से अपने कंट्रोल में लिया और उनके खाते की जानकारी हासिल कर ली. बातों ही बातों में ओटीपी भी जान लिया. इसके बाद उनके खाते से 10.50 लाख रुपये निकाल लिए. इस मामले में हल्द्वानी पुलिस थाने से मामला साइबर थाने को ट्रांसफर हुआ. एसटीएफ के अधीन चल रहे कुमाऊं साइबर थाने की टीम ने जांच में पाया कि यह रकम अलग-अलग खातों में गई. इन खातों से लिंक सारे मोबाइल नंबर बंद थे. पश्चिम बंगाल और बिहार के एटीएम से रकम निकाली गई. इसके बाद एसटीएफ की टीम कोलकाता में करीब 15 दिन रही. इस बीच वहां से अभिषेक शॉ निवासी बिदुपुर वैशाली बिहार को गिरफ्तार कर लिया गया. उससे डेबिट कार्ड, 16 सिम कार्ड और मोबाइल फोन भी बरामद हुए.
नेटवर्क मार्केटिंग कर चुका है गिरफ्तार आरोपी: एसटीएफ के अनुसार, आरोपी नेटवर्क मार्केटिंग भी कर चुका है. वह विभिन्न वेबसाइट से नंबर निकालकर रिटायर लोगों को ट्रेजरी अफसर बताकर कॉल करता था. इसके बाद उनके व्हाट्सऐप पर पेंशन भुगतान से जुड़ा फार्मेट भेजता था. पेंशन के सभी देयकों का भुगतान करवाने के झांसे में लेकर उनके मोबाइल का एक्सेस लेकर सिम स्वेपिंग कर ली जाती थी. इसके बाद इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस लेकर धनराशि विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवा ली जाती थी.
जमानत पर था अभिषेक: अभिषेक को पूर्व में कोलकाता पुलिस ने भी साइबर ठगी में गिरफ्तार किया था. कुछ दिन बाद ही उसकी जमानत हो गई. ट्रांजिट रिमांड पर उत्तराखंड लाया गया. यहां पता चला कि उसने उत्तराखंड के एक और व्यक्ति से एक लाख रुपये ठगे. उसके पास से 16 सिम मिले, जिससे वह विभिन्न लोगों को फोन करता था. जहां-जहां उसने लोगों को ठगा है, वहां की पुलिस को रिपोर्ट भेजी जाएगी. ताकि, उसके खिलाफ कार्रवाई हो सके.