हल्द्वानी जलाशयों के निकट माइग्रेटरी बर्ड्स बनाने की योजना
हल्द्वानी न्यूज़: तराई पूर्वी वन डिवीजन में क्रोक्रोडाइल सफारी के बाद माइग्रेटरी बर्ड जोन बनाने की तैयारी है। इसके लिए पक्षी विशेषज्ञों के साथ ही वन स्टाफ डिवीजन के अंतर्गत जलाशयों में आने वाले एक-एक प्रवासी पक्षी की प्रजाति, संख्या, प्रवास अवधि आदि का रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इसके बाद जोन बनाने पर फैसला होगा। इस बाबत सभी रेंज अधिकारियों को पत्र लिखा जा रहा है।
नीताल से ऊधम सिंह नगर तक 82,489 हेक्टेयर जंगलों में फैली तराई पूर्वी वन डिवीजन में चार जल स्रोत हैं। इनमें शारदा सागर, नानक सागर, बैगुल डैम और धौरा डैम हैं। इन सभी जलाशयों पर हर वर्ष सैकड़ों प्रजातियों के हजारों प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। वन विभाग ने पिछले वर्ष 2021 में इन जलाशयों में प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों, संख्या का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों से अध्ययन करवाया था। हालांकि यह अध्ययन सिर्फ बैगुल और धौरा डैम पर ही हो पाया था लेकिन इसमें हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए थे। इन दो जलाशयों पर ही 160 प्रजाति के 60 हजार से अधिक प्रवासी पक्षी पहुंचे थे। इसके बाद वन अधिकारी खासा उत्साहित हैं। इस बार भी वन कर्मचारियों व विशेषज्ञों से सर्वे कराने का फैसला किया है।
सर्वे में इन बिंदुओं पर किया जाएगा ध्यान:
पहली बार पहुंचने वाली प्रवासी पक्षी का नाम, प्रवास की अवधि, फोटो, संख्या पिछली बार के बजाय इस वर्ष नहीं पहुंचने वाले प्रवासी पक्षी का रिकॉर्ड सभी प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों की संख्या, नाम, प्रवास की अवधि का रिकॉर्ड
नाव से होगी निगरानी: तराई पूर्वी वन डिवीजन में चारों जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों को शिकार से बचाने के लिए नावों से निगरानी व गश्त की जाएगी। इसके लिए वन कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। तराई पूर्वी वन डिवीजन के चारों जलाशयों नानक सागर, शारदा सागर, धौरा व बैगुल डैम में प्रवासी पक्षियों का सर्वे कराया जाएगा। इसके बाद निश्चित अवधि के लिए एक माइग्रेटरी बर्ड जोन बनाया जाएगा। इसके लिए योजना बनाई जा रही है ताकि वन विभाग में रिकॉर्ड मेंटेन होने के साथ-साथ शोधार्थी, विद्यार्थी, पक्षी प्रेमियों को इसका लाभ मिले।
संदीप कुमार, डीएफओ, तराई पूर्वी वन डिवीजन हल्द्वानी