वन्यजीवों के लिए पालतू जानवर भी बन गए खतरा, कार्बेट के वन्यजीवों को ज्यादा नुकसान
नैनीताल न्यूज़: मानवीय दखल से खतरे में पड़े दुर्लभ वन्यजीवों के लिए पालतू जानवर भी बड़ी मुसीबत बन सकते हैं. भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआईआई) देहरादून की शोध रिपोर्ट में पालतू जानवरों से खतरनाक वायरस के वन्यजीवों में पहुंचने की पुष्टि हुई है.
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों के लिए यह शुभ संकेत नहीं है जहां सदियों से वन्यजीव और आबादी वाले क्षेत्र आसपास ही हैं. डब्लू्आईआई की टीम ने हिमाचल प्रदेश की तीर्थन वैली में 110 किलोमीटर के क्षेत्र में तीन सालों तक अध्ययन किया. अध्ययन में यह बात भी सामने आई की
पालतू जानवर वन्यजीवों को संक्रमित कर रहे हैं. टीम का नेतृत्व कर रहीं रिसर्च कंसलटेंट डॉ.मेघना बंदोपाध्याय ने बताया कि आमतौर पर भेड़, बकरी, गाय और कुत्तों में मिलने वाला कैनाइन डिस्टेंपर नाम का वायरस कई वन्यजीवों में भी मिला है. यह वायरस एक ऐसी बीमारी का कारण है जो जानवर को कमजोर करती है और उसकी मौत भी हो सकती है. इसके प्रारंभिक लक्षणों में जानवरों के आंखों से पानी के साथ मवाद निकलता है.
उच्च हिमालयी क्षेत्र में जहां हमने रिसर्च की वहां आबादी बढ़ी है. हमने पाया कि पालतू जानवर-वन्यजीवों के एक-दूसरे के संपर्क में आने से वायरस ट्रांसमिट हो रहे हैं.
-डॉ. मेघना बंदोपाध्याय, रिसर्च कंसलटेंट, डब्लूआईआई, देहरादून
पालतू जानवरों में पाए जाने वाले वायरस से वन्यजीवों को खतरा रहता है. जंगलों के आसपास की आबादी में जानवरों के वैक्सीनेशन के लिए वन विभाग अभियान चलाता है.
-डॉ. समीर सिन्हा, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखंड
गुजरात में शेरों की मौत में हुई थी पुष्टि
कार्बेट नेशनल पार्क चारों तरफ से आबादी वाले क्षेत्र से घिरा है. पार्क के जानवर अक्सर आसपास बसे गांवों में भेड़, बकरी और पालतू कुत्तों आदि का शिकार करते रहते हैं. ऐसे में यदि किसी पालतू जानवर को कोई गंभीर बीमारी है, तो वह जंगल में वन्यजीवों में भी फैल सकती है.
गुजरात के गिर अभ्यारण्य में 2018 में 23 शेरों की मौत से पूरे देश में हड़कंप मच गया था. बाद में पुणे के नेशलन इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने अपनी जांच रिपोर्ट में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से इन शेरों की मौत की पुष्टि की थी. तब यह बात सामने आई थी कि पालतू कुत्ते से यह वायरस वन्यजीव तक पहुंचा था.