नैनीताल न्यूज़: उत्तराखंड में सफेद श्रेणी के उद्योगों को स्थापित करने के लिए भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी होगी. ये ऐसे उद्योग होते हैं, जिनमें वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण न के बराबर होता है. पहले इन उद्योगों को पीसीबी की सहमति की जरूरत नहीं होती थी.
पीसीबी उत्तराखंड की 30वीं बोर्ड बैठक में इसके साथ ही आठ अहम बिंदुओं पर मुहर लग गई है. सफेद श्रेणी के उद्योगों में एसी, साइकिल, चाय, चॉक, इंजीनियरिंग, पाउडर मिल्क, फ्लोर, अगरबत्ती, कजावा आदि आते हैं. उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 30वीं बैठक का कार्यवृत्त बोर्ड की वेबसाइट पर सदस्य सचिव सुशांत पटनायक की ओर से जारी किया गया है. विभिन्न न्यायालयों में अधिवक्ताओं के रिटेनरशिप एवं शुल्क आदि को बढ़ाने का अधिकार पीसीबी अध्यक्ष को दिया गया. सफद श्रेणी के उद्योगों को एनओसी प्रमाण पत्र क्षेत्रीय अधिकारी दे सकेंगे. नियमित एयर क्वालिटी मॉनीटिरिंग स्टेशन एवं संचालन के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत विभिन्न संस्थानों से समीक्षा बैठक के आदेश किए गए. काशीपुर के महुआखेडागंज में स्क्रेप लेड एसिड बैटरी उद्योगों से हो रहे प्रदूषण पर संयुक्त निरीक्षण की आख्या मांगी गई है. बोर्ड सदस्यों को इस आख्या को दिखाया जाएगा. बैठक में राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय निदेशक एसपी सुबुद्धि, पीसीबी के सदस्य सचिव एसके पटनायक, दून विवि से डा. विजय श्रीधर, आईआईटी रुड़की से डा. बिहु सुचेतना, एमडीडीए से एसएस रावत, काशीपुर नगर निगम से विनोद लाल मौजूद रहे.
उद्योगों को 30 जून तक मिली राहत
प्रदूषण पर नियंत्रण को इंडक्शन फर्नेस में साइड ड्राफ्ट हुड टेक्नॉलॉजी 11 उद्योगों ने नहीं अपनाई है. 15 उद्योगों में इन्हें स्थापित करने का काम चल रहा है. 30 जून तक इन्हें समय दिया गया है. ईंट भट्टों को 30 जून तक जिगजैग तकनीक अपनाने की मोहलत का प्रस्ताव पारित किया गया.
एनओसी के लिए डेडलाइन तय की गई
उद्योग लगाने के लिए एनओसी के आवेदनों को निस्तारण करने की डेडलाइन भी निर्धारित कर दी गई है. हरित और सफेद श्रेणी के उद्योगों के लिए 30, नारंगी श्रेणी के लिए 45 और लाल श्रेणी के उद्योगों के लिए 60 दिन की समयावधि निर्धारित की गई है. अब उद्योगों को एनओसी जिस तारीख को दी जाएगी, वह एनओसी वित्तीय वर्ष में खत्म न होकर उसी तारीख को खत्म होगी.