उत्तराखंड

यात्रियों की जेब होंगी ढीली, उत्तराखंड में रोडवेज के साथ ही प्राइवेट बस और टैक्सियों का भी बढ़ेगा किराया

Renuka Sahu
10 April 2022 6:10 AM GMT
यात्रियों की जेब होंगी ढीली, उत्तराखंड में रोडवेज के साथ ही प्राइवेट बस और टैक्सियों का भी बढ़ेगा किराया
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फाइल फोटो 

उत्तराखंड में जल्द ही सफर करना आम लोगों के लिए महंगा हो सकता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड (Uttarakhand) में जल्द ही सफर करना आम लोगों के लिए महंगा हो सकता है. असल में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ टोल (Toll Tax) में इजाफे के बाद राज्य सरकार रोडवेज के साथ ही प्राइवेट टैक्सी और बसों के किराये में इजाफे को मंजूरी दे सकती है. इसके लिए रोडवेज प्रबंधन ने प्रस्ताव तैयार किया है और इसे जल्द ही मंजूरी के लिए राज्य परिवहन प्राधिकरण (STA) को भेजा जाएगा और जहां से अनुमति मिलने के बाद राज्य सरकार इसे लागू करेगी.

राज्य में किराया बढ़ाने को लेकर परिवहन निगम का कहना है कि अभी तक निगम ने उन रूटों पर किराया बढ़ाया है जहां पर ज्यादा टोल प्लाजा है और परिवहन निगम को ज्यादा टोल टैक्स देना पड़ रहा है. लेकिन अब किराए में इजाफा अन्य रूटों पर भी हो सकता है. क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो रहा है और इसका सीधा असर निगम पर पड़ रहा है. लिहाजा रोडवेज पर सभी रूटों पर किराया बढ़ाने का दबाव है और इसके लिए प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजेगा बनाएगी. वहीं रोडवेज का तर्क है कि फरवरी 2020 में बसों के किराए में इजाफा नहीं किया गया है.
रोडवेज को हो रहा है आर्थिक नुकसान
रोजवेज का कहना है कि देश में डीजल की कीमतें बढ़ जाने के कारण उसे लगातार नुकसान हो रहा है और वाहनों की मरम्मत का खर्च भी बढ़ गया है. लेकिन उसके सापेक्ष यात्री किराए में वृद्धि नहीं हुई है. लिहाजा इसे बढ़ाने की जरूरत है और अगर इसे नहीं बढ़ाया जाता है तो निगम को भारी नुकसान होगा और कर्मचारियों को वेतन देने में भी दिक्कत आएगी.
प्राइवेट बस-टैक्सी का भी बढ़ेगा किराया
माना जा रहा है कि रोडवेज का किराया बढ़ने के बाद अब प्राइवेट और टैक्सी-मैक्सी के किराए में भी इजाफा होगा. क्योंकि रोडवेज की तरह निजी ऑपरेटर भी डीजल मूल्य वृद्धि के तर्क दे रहे हैं. उनका कहना है कि अगर किराया नहीं बढ़ाया गया तो वह नुकसान झेल नहीं सकेंगे और उन्हें वाहनों को बंद करना पड़ेगा. वाहं एसटीए ने यात्री किराया में इजाफे के लिए स्थानीय स्तर की रिपोर्ट मांगी थी और अभी तक अल्मोड़ा, पौड़ी और हल्द्वानी आरटीओ से इसको लेकर रिपोर्ट नहीं भेजी है.
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