ऋषिकेश न्यूज़: परमार्थ निकेतन में सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल की रचना संसार की यात्रा पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई. जिसमें यात्रा अवदान एवं मूल्यांकन पुस्तक का विमोचन किया गया. वक्ताओं ने इस प्रकार के साहित्य को युवाओं के लिए जरूरी बताया.
परमार्थ निकेतन में हिमालय विरासत ट्रस्ट, शाही ब्लूबुक्स दिल्ली तथा हिमालयीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. जिसका शुभारंभ उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह, कुलपति रजनीश कुमार शुक्ल, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, साहित्यकार रश्मि खुराना, हिमालयीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रदीप भारद्वाज, कुलपति प्रोफेसर राजेश नैथानी ने किया. राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने कहा कि भारतीय दर्शन, साहित्य, संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर रचित साहित्य देश के युवाओं को साहित्य सृजन की प्रेरणा देती है. उन्होंने कहा कि शब्द में ही पूरा संसार है. भारत की सभ्यता और ब्रह्मण्ड की उत्पत्ति ओम से हुई. ऊँ में पूरे ब्राह्मंड के स्वर समाहित हैं. भारत की महान परम्परा हमारे ऋषियों की सोच, विचार और धारणा ही तो है. उन्होंने कहा कि डॉ. निशंक ने भारत की संस्कृति और सभ्यता को गहराई से जाना और उसे शब्दों में उतारा है.
कुलपति हिमालयीय विश्वविद्यालय डॉ. राजेश नैथानी ने उत्तराखंड में स्थापित होने वाले लेखक गौंबकी परिकल्पना को प्रस्तुत किया. कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल ने कहा कि आगामी वर्ष से लेखक गांव के सहयोग से प्रतिवर्ष साहित्यिक महोत्सव मनाया जाएगा. सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने देश-विदेश से उपस्थित साधकों साहित्य सृजनकर्ताओं का अभिवादन किया. साहित्य सृजन कर राष्ट्रभाषा अपनी सभ्यता संस्कृति को विश्व के उच्चतम स्तर पर ले जाने के लिए अनुरोध किया.
परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि ने भारतीय ज्ञान-विज्ञान, अध्यात्म, योग, संस्कृति एवं साहित्य से अवगत कराया. इससे पहले सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल की रचना संसार की यात्रा पर चल रहे वेबीनार विचार गोष्ठी का प्रस्तुतिकरण और यात्रा अवदान एवं मूल्यांकन पुस्तक का विमोचन किया गया.
इस मौके पर अश्विनी, योगेंद्र नाथ शर्मा, डॉ. रश्मि खेलगांवकर, डॉ. रश्मि खुराना आदि उपस्थित रहे.