सामान्य मरीज अब छोटे सरकारी अस्पतालों से सीधे प्राइवेट में रेफर नहीं किए जाएंगे, इमरजेंसी की स्थिति में रेफरल जरूरी नहीं
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फाइल फोटो
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तराखंड में पांच लाख रुपये के निशुल्क इलाज वाली आयुष्मान योजना में सामान्य मरीज अब छोटे सरकारी अस्पतालों से सीधे प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए रेफर नहीं किए जाएंगे। छोटे अस्पताल मरीजों को पहले बड़े सरकारी अस्पतालों में भेजेंगे और वहां इलाज न हो पाने की सूरत में ही बड़े अस्पतालों से मरीजों को प्राइवेट अस्पताल रेफर किया जाएगा।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने शनिवार को पत्रकार वार्ता के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से पूर्व में किए गए आदेश के अनुसार पांच लाख रुपये के निशुल्क इलाज वाली योजना के तहत मरीजों को इलाज के लिए पहले सरकारी अस्पतालों में जाना होगा। लेकिन यह देखने में आ रहा है कि लोग छोटे सरकारी अस्पतालों से सीधे बड़े प्राइवेट अस्पतालों में रेफर होकर इलाज करा रहे हैं।
साढ़े आठ लाख की पेनल्टी
डीके कोटिया ने बताया कि इस महीने 14 अगस्त से 18 अगस्त के बीच ही ऐसे 74 मामले चिह्नित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में अस्पतालों को इलाज देने पर इम्प्लीमेंटेशन एजेंसी पर साढ़े आठ लाख की पेनल्टी लगाई गई है। एजेंसी को निर्देश दिए गए हैं कि अब ऐसे मामलों में अस्पतालों को मरीजों के इलाज की इजाजत न दी जाए।
रेफर करने का कारण बताना अनिवार्य
डीके कोटिया ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों को मरीजों को रेफर करने के संदर्भ में कारण बताना होगा। बिना कारण बताए अस्पतालों के रेफरल स्वीकार नहीं किया जाएंगे। पहले जिला अस्पताल या सरकारी मेडिकल कॉलेज में इलाज कराना अनिवार्य किया गया है।
इमरजेंसी की स्थिति में रेफरल जरूरी नहीं
यदि कोई मरीज गंभीर हालत में किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए जाता है तो वहां तत्काल इलाज किया जाएगा। आपात स्थिति में प्राइवेट अस्पताल में भी योजना के तहत निशुल्क इलाज दिया जाएगा। सरकारी अस्पतालों की स्थिति मजबूत बनाने के लिए यह निर्णय लिया है।
कर्मचारियों के लिए रेफरल अनिवार्य नहीं
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने साफ किया कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए चलाई जा रही राज्य स्वास्थ्य योजना के तहत रेफरल की व्यवस्था नहीं है। कर्मचारी अपनी पसंद के किसी भी अस्पताल में सीधे इलाज के लिए भर्ती हो सकते हैं।
48 लाख लोग योजना के दायरे में
पांच लाख रुपये वाली आयुष्मान योजना के दायरे में राज्य के 48 लाख के करीब लोग आते हैं। इन लोगों के गोल्डन कार्ड बने हुए हैं। इसमें से पांच लाख 40 हजार से अधिक लोग योजना के तहत निशुल्क इलाज भी करा चुके हैं। जिस पर सरकार ने अभी तक कुल 928 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। राज्य में आयुष्मान योजना के तहत 70 प्रतिशत के करीब मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज मिल रहा है। जबकि 30 प्रतिशत मरीज ही सरकारी में इलाज करा रहे हैं।