नौ और छात्रों ने एसआईटी के सामने राज खोले, सिर्फ कराए गए थे फॉर्म पर दस्तखत
लखनऊ न्यूज़: यूपी के 10 संस्थानों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में एसआईटी की तेजी बढ़ती जा रही है. एसआईटी में शामिल डिप्टी एसपी व तीन इंस्पेक्टरों ने नौ और छात्रों के बयान दर्ज किये. इनसे खातों के आवेदन फार्म पर दस्तख्त करा लिये गये थे. बाकी विवरण कालेज प्रशासन ने भर लिये थे. इससे पहले दो दर्जन छात्रों के बयान लिये जा चुके हैं. इन छात्रों ने ही कालेजों के चेयरमैन व कर्मचारियों की पोल खोली. छात्रों के बयान से ही साफ हुआ है कि संस्थान ने करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति हड़प ली. अब तक 45 करोड़ का घोटाला सामने आ चुका है.
इस घोटाले की एफआईआर हजरतगंज कोतवाली में एसएसआई दया शंकर द्विवेदी ने दर्ज करायी थी. इसमें 10 संस्थानों के चेयरमैन व कर्मचारियों समेत 18 लोग नामजद कराये गये थे. इन सभी पर केन्द्र और प्रदेश सरकार की योजना के तहत पोस्ट मैट्रीकुलेशन छात्रवृत्त वितरण में घोटाला करने का आरोप है. इस मामले में संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था उपेन्द्र कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआईटी बनायी गई है. अब तक की जांच में चार संस्थानों के मैनेजर व कर्मचारी के खिलाफ घोटाला करने के साक्ष्य मिल चुके हैं. कुछ तथ्यों की पुष्टि कराना बाकी है.
दो दर्जन छात्रों के बयान पहले ही दर्ज एसआईटी ने इन संस्थानों के छात्रों के बयान दर्ज करने शुरू किये थे. दो दर्जन छात्रों के बयान पहले ही दर्ज हो चुके थे. नौ और छात्रों के बयान एसआईटी ने लिये. इन छात्रों से उसके प्रवेश से लेकर बैंक खाता खुलने और फार्म पर एक ही ई-मेल आईडी लिखने के बारे में पूछा गया. इन छात्रों ने कहा कि उनसे सिर्फ फार्म पर दस्तख्त कराये गये थे, बाकी क्या भरा उन्हें पता ही नहीं था. इतना ही नहीं ये लोग कभी कालेज गये ही नहीं.
रुपये देकर दस्तावेज लिये एसआईटी सूत्रों के मुताबिक कई छात्रों को तीन से पांच हजार रुपये देकर उनके मूल शैक्षिक प्रमाण पत्र ले लिये गये थे. इनसे यह कहा गया था कि इनका कोई गलत इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. फिर इनकी हाजिरी लगती रही थी. कुछ समय बाद कुछ और फार्म पर दस्तख्त लेकर मूल दस्तावेज लौटा दिये गये थे.