देवभूमि उत्तराखंड में पानी की दरें तय करने के लिए नई नीति बनेगी
देहरादून न्यूज़: उत्तराखंड में पानी के बिलों को तय करने का तरीका बदलने जा रहा है. शहर, गांव, कॉमर्शियल, औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए बिल तय करने को अलग- अलग दरें हैं. अब इन कई तरह की दरों को व्यवस्थित कर तीन से चार श्रेणियों में सीमित किया जाएगा. इससे अधिकतर श्रेणियों में पानी का बिल भविष्य में महंगा भी हो सकता है. शासन ने दरों को व्यवस्थित कर जल संस्थान को नया वाटर टैरिफ तय किए जाने के निर्देश दिए हैं.
अभी जल संस्थान उपभोक्ताओं से जो पानी का बिल लेता है, उसके निर्धारण को लेकर कई तरह की व्यवस्था है. शहरों में घरों का पानी का बिल भवन कर के अनुसार तीन श्रेणियों में बांटा गया है. ग्रेविटी, ट्यूबवेल और पम्पिंग योजनाओं से मिलने वाली योजनाओं के लिए अलग-अलग दरें तय की गई हैं. इसी फिक्स चार्ज भी तीन श्रेणियों में बांटा गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के बिलों का निर्धारण घरों में मौजूद पानी की टोंटियों की संख्या के अनुसार तीन दरों के आधार पर तय होता है.
यही स्थिति कॉमर्शियल और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए भी है. यहां भी पानी के बिल ग्रेविटी, ट्यूबवेल और पम्पिंग योजनाओं के अनुसार अलग-अलग तय होते हैं. जिन घरों में पानी के मीटर लगे हैं, वहां भी तीन तरह की पानी की दरें हैं. इन बिखरी हुई पानी की दरों के कारण आए दिन विवाद की स्थिति रहती है. उपभोक्ताओं की शिकायत रहती है कि उन्हें मालूम ही नहीं कि पानी के बिलों का निर्धारण कैसे हो रहा है. इस समस्या के समाधान को अब पानी की दरों को बिजली दरों की तरह व्यवस्थित किया जाएगा. ग्रेविटी, ट्यूबवेल, पम्पिंग की तीन अलग अलग दरों को समाप्त कर एक दर तय की जाएगी. इस लिहाज से घरेलू, आवासीय, कॉमर्शियल दरें तय होंगी. नई व्यवस्था में पानी की दरें कुछ बढ़ सकती हैं. क्योंकि पम्पिंग योजनाओं पर बजट अधिक खर्च होता है. जल संस्थान ने नई तरीके से टैरिफ तय करने का काम शुरू कर दिया है.
उपभोक्ताओं की संख्या
शहरों में परिवारों की संख्या 8.24 लाख है, लेकिन कनेक्शन सिर्फ 4.64 लाख ही हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 11.53 लाख पानी के कनेक्शन हैं. ऐसे में पानी के बिलों का फार्मेट बदलने का सीधा प्रभाव राज्य के 16.17 उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
जल संस्थान को वॉटर टैरिफ को स्पष्ट और व्यवस्थित करने के निर्देश दिए गए हैं. अभी पानी की दरें इतनी अधिक अलग अलग हैं कि उन्हें आसानी से समझ पाना मुश्किल है. अलग अलग दरों को एक किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
-नितेश झा, पेयजल सचिव