उत्तराखंड

राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी बच्चों पर बोझ के पक्ष में नहीं

Admin Delhi 1
18 April 2023 8:04 AM GMT
राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी बच्चों पर बोझ के पक्ष में नहीं
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देहरादून न्यूज़: इस शैक्षिक सत्र में बेसिक स्तर के छात्रों को अतिरिक्त पढ़ाई के बोझ से राहत मिल सकती है. बस्ते के बढ़ते बोझ और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लर्न विन फन फार्मूले की वजह से इसकी उम्मीद बंधी है.

शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत इसे लेकर जल्द सरकारी और निजी बोर्ड के साथ बैठक करने जा रहे हैं. इसमें सभीबोर्ड के साथ पढ़ाई के बोझ को कम करने पर सहमति बनाई जाएगी.

हालांकि राज्य में वर्ष 2019 में बेसिक स्तर पर कक्षावार पाठ्यक्रम और होमवर्क को लेकर मानक तय किए जा चुके हैं. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से यह आदेश ही दबा रह गया. यह आदेश सरकारी, अशासकीय और सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड के सभी स्कूलों के लिए था. सरकारी स्कूलों के मुकाबले प्राइवेट स्कूलों में छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कुछ ज्यादा है. जहां सरकारी स्तर पर पहली से पांचवीं कक्षा तक के लिए अधिकतम पांच किताबें हैं. वहीं प्राइवेट में इनकी संख्या सात से आठ तक हो जाती है. वर्ष 2018 में मद्रास हाईकोर्ट ने एम. पुरूषोत्तम बनाम यूनियन ऑफ इंडिया बनाम मामले में पढ़ाई का बोझ कम करने के आदेश दिए थे. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर पूर्व शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षीसुंदरम ने राज्य के लिए भी मानक तय किए.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी बच्चों पर बोझ के पक्ष में नहीं

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में प्रीप्राइमरी से इंटर मीडिएट तक शिक्षा को 5+3+3+4 वर्ष में बांटा है. पहले पांच में तीन साल तक बच्चा प्रीप्राइमरी कक्षाओं में रहेगा और बाकी के दो साल पहली और दूसरी कक्षा में. इसमें खेल-खोज और गतिविधि आधारित शिक्षा आगे बढेगी. हल्के फुल्के पाठ्यक्रम आधारित शिक्षण को भी शामिल जाएगा

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