उत्तराखंड

नैनीताल हाईकोर्ट ने हरपाल सिंह को किया बरी

Shantanu Roy
23 Nov 2021 7:26 AM GMT
नैनीताल हाईकोर्ट ने हरपाल सिंह को किया बरी
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हाईकोर्ट नैनीताल ने उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता व पूर्व सांसद डीपी यादव सहित तीन अन्य द्वारा गाजियाबाद के विधायक रहे महेंद्र भाटी हत्या मामले में दोषी करार अभियुक्त की विशेष अपील पर सुनवाई की.

जनता से रिश्ता। हाईकोर्ट नैनीताल ने उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता व पूर्व सांसद डीपी यादव सहित तीन अन्य द्वारा गाजियाबाद के विधायक रहे महेंद्र भाटी हत्या मामले में दोषी करार अभियुक्त की विशेष अपील पर सुनवाई की. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाला उर्फ हरपाल सिंह अपील पर फैसला सुनाते हुए बरी कर दिया है. हाईकोर्ट ने देहरादून सीबीआई अदालत के आदेश को निरस्त कर करते हुए ठोस सबूत न मिलने पर पाल सिंह को रिहा करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल के दौरान सीबीआई इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाने में असमर्थ रही, जो भी सबूत जुटाए गए थे उनमें भी विरोधाभास था. इस पर इनको रिहा करने के आदेश हरिद्वार जेल को दिए हैं. आरोपी को 30 साल तक केस लड़ने के बाद आज न्याय मिला है.
बता दें, अभियुक्त अभी हरिद्वार जेल में बंद है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में दो दोषियों की अपीलों में फैसला सुरक्षित रखा है, जबकि इस मामले का मुख्य आरोपी पूर्व सांसद डीपी यादव 10 नवंबर, 2021 को पहले ही बरी हो चुका है. मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मंगलवार को यह अहम आदेश पारित किया है.
ये है पूरा मामलाः 13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद के तत्कालीन विधायक महेंद्र भाटी की हत्या यूपी के बाहुबली नेता पूर्व सांसद डीपी यादव परनीत भाटी, करन यादव व पाला उर्फ लक्कड़ पाल दादरी रेलवे क्रॉसिंग पर गोली मारकर कर दी थी. 15 फरवरी 2015 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने चारों हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी. इस आदेश को चारों अभियुक्तों द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विधायक की हत्या के मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को हस्तांतरित किया था. जबकि, सीबीआई की कोर्ट ने विधायक की हत्या के आरोप में सभी आरोपियों को 10 मार्च 2015 को आजीवन कारावास की सुनाई थी. जिसके बाद से सभी आरोपी जेल में बंद थे.
13 सितंबर, 1992 को गाजियाबाद में तत्कालीन विधायक भाटी अपने समर्थकों के साथ बंद रेलवे फाटक के खुलने का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान एक वाहन में सवार हथियारबंद बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इसमें भाटी व उनके साथी उदय प्रकाश की मौत हो गई थी. कुछ लोग घायल हुए थे. जांच के दौरान इस हत्याकांड में डीपी यादव और उसके साथियों के नाम सामने आए. पुलिस ने हत्या के दौरान इस्तेमाल की गई गाड़ी भी बरामद की थी.
महेंद्र सिंह भाटी गाजियाबाद के दादरी से विधायक थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस केस को साल 2000 में सीबीआई को सौंप दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट को आशंका थी कि डीपी यादव यूपी का बाहुबली और बड़ा नेता है. ऐसे में यूपी में उसके खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो पाएगी. डीपी यादव ने जिन महेंद्र सिंह भाटी की हत्या की, वह उसके राजनीतिक गुरु भी थे.
आतंक का दूसरा नाम डीपी यादव: बाहुबली व धनबली के रूप में कुख्यात डीपी यादव कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का दूसरा नाम था. जिला गाजियाबाद में नोएडा सेक्टर-18 के पास एक गांव शरफाबाद में धर्मपाल यादव नाम का एक आम आदमी था. ये शख्स जगदीश नगर में डेयरी चलाता था. रोजाना साइकिल से दूध दिल्ली ले जाता था.
अति महत्वाकांक्षी धर्मपाल यादव 1970 के दशक में शराब माफिया किंग बाबू किशन लाल के संपर्क में आ गया. यही शख्स धर्मपाल यादव से धीरे-धीरे डीपी यादव के रूप में कुख्यात होता चला गया. शराब माफिया किशन लाल, डीपी यादव को एक दबंग गुंडे की तरह इस्तेमाल करता था. डीपी शराब की तस्करी में अहम भूमिका निभाता था. डीपी यादव कुछ समय बाद ही किशन लाल का पार्टनर बन गया.
इन दोनों का गिरोह जोधपुर से कच्ची शराब लाता था और पैकिंग के बाद अपना लेबल लगा कर उस शराब को आसपास के राज्यों में बेचता था. जगदीश पहलवान, कालू मेंटल, परमानंद यादव, श्याम सिंह, प्रकाश पहलवान, शूटर चुन्ना पंडित, सत्यवीर यादव, मुकेश पंडित और स्वराज यादव वगैरह डीपी के गिरोह के खास गुर्गे थे.
जहरीली शराब से हरियाणा में ली थी 350 लोगों की जान: 1990 के आसपास डीपी की कच्ची शराब पीने से हरियाणा में साढ़े तीन सौ लोग मर गए. इस मामले में जांच के बाद दोषी मानते हुये हरियाणा पुलिस ने डीपी यादव के विरुद्ध चार्जशीट भी दाखिल की थी. पैसा, पहुंच और दबंगई के बल पर धीरे-धीरे डीपी यादव अपराध की दुनिया का स्वयं-भू बादशाह हो गया. दो दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक सिद्ध होने लगा, तो 1991 में इस पर एनएसए के तहत भी कार्रवाई हुई.
इसके बावजूद इसने 1992 में अपने राजनैतिक गुरु दादरी क्षेत्र के विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या करा दी. इस मामले में डीपी यादव के विरुद्ध सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया. इस हत्या के बाद गैंगवार शुरू हुई. डीपी के गुर्गों ने कई लोगों को मारा. डीपी के पारिवारिक सदस्यों के साथ उसके कई खास लोगों की जान गई.


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