उत्तराखंड

मौसम विज्ञान केंद्र और राज्य सरकार के बीच एमओयू पांच साल और बढ़ा

Admin Delhi 1
12 Dec 2022 1:45 PM GMT
मौसम विज्ञान केंद्र और राज्य सरकार के बीच एमओयू पांच साल और बढ़ा
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देहरादून न्यूज़: उत्तराखंड में वर्षा तथा मौसम संबंधी अन्य आपदाओं से बचाव तथा उनसे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए वेदर नेटवर्क स्टेशनों की स्थापना तथा वास्तविक समय मौसम सूचना प्रणाली के विकास के लिये उत्तराखंड सरकार और मौसम विज्ञान केंद्र के बीच हुए एमओयू को सोमवार को पांच और साल के लिए बढ़ा दिया गया है।

एमओयू को बढाने के लिए यहां उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) तथा मौसम विज्ञान केन्द्र (आइएमडी) के बीच दस्तखत किए गए। राज्य सरकार की ओर से आपदा प्रबन्धन सचिव डा रंजीत कुमार सिन्हा तथा मौसम विज्ञान केन्द्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। यह एमओयू राज्य में आपदा पूर्व, आपदा के दौरान तथा आपदा के बाद किए जाने वाले सहयोग, समन्वय और सहायता की दिशा में एक पहल है। एमओयू के तहत आइएमडी द्वारा चयनित ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, ऑटोमेटिक रेन गेज, ऑटोमेटेड स्नो गेज तथा कॉम्पेक्ट डॉप्लर रडार के स्थल चयन, इंस्टॉलेशन, परीक्षण तथा संचालन हेतु मार्गदर्शन तथा दिशा-निर्देश उपलब्ध करवाए जायेंगे।

यूएसडीएमए की सहायता से स्थापित इस पूरे तंत्र के अंतिम निरीक्षण में आइएमडी सहायता करेगी। उक्त उपकरणों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी यूएसडीएमए की होगी। इन उपकरणों से प्राप्त डाटा को प्रोसेसिंग के लिए सीधे आइएमडी के सर्वर में भेज दिया जाएगा। इसके साथ ही यूएसडीएमए को उत्तराखंड में आइएमडी द्वारा स्थापित अन्य मौसम संबंधी उपकरणों तक रियल टाइम ऑनलाइन एक्सेस मिल जाएगी।

एमओयू के तहत आइएमडी तथा यूएसडीएमए शोध तथा प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी एक दूसरे को सहयोग एवं सहायता को प्रोत्साहित करेंगे तथा सूचनाओं एवं अनुभवों को भी साझा करेंगे। डा सिन्हा ने कहा कि खासतौर पर भूस्खलन, बाढ़, बिजली गिरने जैसी तथा वर्षा संबंधी आपदाओं के प्रति उत्तराखंड की संवेदनशीलता को देखते हुए यह एमओयू किया गया है । उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों के अनुरूप कॉपरेटिव फेडरलिज्म का उदाहरण बताया जिसमें एक केंद्रीय एजेंसी राज्य की जरूरतों के अनुसार आपदा प्रबन्धन में प्रभावी व्यवस्था बनाने के लिये भागीदारी कर रही है।

सचिव ने कहा कि आइएमडी का पूर्वानुमान अब लगभग सटीक होता है और आपदा आने की आशंका वाले स्थान विशेष की सूचना मिलने से वहां पर आपदा प्रबन्धन का तंत्र पहले ही सर्तक एवं तैयार हो जाएगा । उन्होंने कहा कि राज्य में दो रडार सिस्टम सुरकंडा देवी तथा मुक्तेश्वर में स्थापित हो चुके हैं जबकि एक अन्य रडार लैंसडाउन में स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रडार प्रणाली को सघन करने से स्थान विशेष की सूचनाएं प्राप्त हो सकेंगी ।

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