उत्तराखंड

लाखों की पुस्तकें साढ़े तीन साल से कमरे में फांक रही हैं धूल

Admin Delhi 1
29 Nov 2022 2:42 PM GMT
लाखों की पुस्तकें साढ़े तीन साल से कमरे में फांक रही हैं धूल
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काशीपुर न्यूज़: अधिकारियों की हीला हवाली के चलते छात्रों की कॉशन मनी से खरीदी गई पुस्तकों से छात्र ही वंचित है। साढ़े तीन साल से जांच के नाम पर प्रिंट रेट पर कालिखपुती हजारों पुस्तकें सील कमरे पड़ी धूल फांक रही है। सेवानिवृत्त प्राचार्य को देयकों का भुगतान होने के बाद भी इन पुस्तकों के बारे में कोई निर्णय नहीं निकल सका, जबकि उच्चाधिकारी जांच पूरी होने का दावा कर रहे हैं। दरअसल सत्र 2017-18 में राधेहरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य ने महाविद्यालय में विभिन्न कार्यों का भुगतान कॉशनमनी से करने, फर्जी बिल बनवाने, एमआरपी से अधिक मूल्यों पर पुस्तकों की खरीद-फरोख्त करने समेत कई कार्य अपने स्तर कर दिए थे। कॉशन मनी के बजट को ठिकाने के लिए तत्कालीन प्राचार्य ने 14 लाख रुपये में ऐसी पुस्तकें खरीदी, जो पाठ्यक्रम में नहीं थी। महाविद्यालय में यह कार्य लंबे समय तक चलते रहे, लेकिन निदेशालय को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई। मामला पकड़ में आने के बाद निदेशालय ने जांच बैठा दी थी।

निदेशालय की टीम ने प्राचार्य पर लगे आरोपों की जांच की। जिसमें सत्यता पाए जाने पर राज्यपाल के आदेश पर तत्कालीन अपर मुख्य सचिव ने आठ जनवरी 2018 को प्राचार्य को निलंबित कर दिया था। निदेशालय की टीम कई बार महाविद्यालय पहुंचकर प्राचार्य पर लगे आरोप, पुस्तकों की खरीद-फरोख्त, कॉशनमनी प्रपत्रों, महाविद्यालय में हुए कार्यों के बिल बाउचरों आदि की गहनता से जांच कर चुकी है। निदेशालय भी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेज चुका है, लेकिन साढ़े तीन वर्ष बाद भी जांच का निस्तारण नहीं हो सका। जिसके चलते महाविद्यालय का कक्ष संख्या 55 सील पड़ा हुआ है। जिसमें लाखों रुपये की पुस्तकें धूल फांक रही है। साथ ही कक्ष वर्षो से बंद होने के कारण पुस्तकें दीमक खाने या गल गई होने की संभावना जताई जा रही है। इतना ही नहीं कमरा नंबर 55 के बाहर सफाई तक नहीं कराई जा रही है, जहां पर जाले तक लगे हुए हैं। इस संबंध में महाविद्यालय प्रशासन भी कोई ठोस कदम उठाता नहीं दिख रहा है। उच्चाधिकारी इस मामले में तत्कालीन प्राचार्य से रिकवरी होने के बाद जांच पूरी होने की बात कह रहे हैं, बावजूद इसके सील कमरा अभी तक नहीं खुल सका।

प्राचार्य का इन आरोपों में हुआ था निलंबन:

पुस्तकों का क्रय, झाड़ी कटान, सिविल कार्य, खेल सामग्री का क्रय कॉशनमनी मद से 14 लाख रुपये का भुगतान करने।

उक्त सभी कार्य निदेशालय के बिना अनुमति के अपने स्तर से करने।

उक्त कार्यो के प्रयोजनों के लिए फर्जी बिल बनाना।

महाविद्यालय स्तर पर विभिन्न क्रय समितियां गठित होने पर प्रकरण समितियों के संज्ञान में नहीं लाया जाना।

क्रय समितियों के गठन में भी चुनिंदा शिक्षकों को ही रखा जाना।

करीब 1500 पुस्तकों के एमआरपी को स्याही से छुपाया जाना, एमआरपी से अधिक दामों पर पुस्तकों का क्रय किया जाना।

महाविद्यालय हित में कार्य न करना एवं कई प्रकार की अनियमिताओं में लिप्त होने पर तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अर्जुन सिराड़ी को निलंबित किया गया।

अभी मेरा स्वास्थ्य खराब है। अवकाश पर चल रहा हूं। डॉ. एके मौर्य चार्ज में हैं। तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अर्जुन सिराड़ी के कुछ देयकों का भुगतान शेष है। जिस कमरे में पुस्तकें रखी है उस सील कमरे को खोलने के बारे में अभी कोई आदेश नहीं आया है। - डॉ. चंद्र राम, प्राचार्य, राधेहरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर

निदेशालय से जांच पूरी हो गई थी। रिपोर्ट मुख्यालय भी भेज दी गई थी। उस समय जो गलत हुआ था तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अर्जुन सिराड़ी से करीब आठ लाख रुपये की रिकवरी होकर ट्रेजरी में जमा हो गई है। पहले उनकी पेंशन रुक गई थी, अब वह भी मिल गई है। कमरे जो पुस्तकें रखी है, उनका महाविद्यालय स्तर से ही निर्णय होगा। प्राचार्य को निर्देश की आवश्यकता है, तो वह निदेशालय को पत्र लिख सकते हैं। - डॉ. गोविंद पाठक, सहायक निदेशक, उच्च शिक्षा निदेशक हल्द्वानी

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