देहरादून न्यूज़: उत्तराखंड में राज्य स्वास्थ्य योजना छोड़ चुके 31 हजार से अधिक पेंशनर्स के चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान अटक गया है. प्रदेश सरकार ने बिल भुगतान के संदर्भ में जीओ जारी नहीं किया है जिससे पेंशनर्स का पैसा अटकने के साथ ही उनका इलाज भी प्रभावित हो रहा है.
नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार ने पेंशनर्स को राज्य स्वास्थ्य योजना छोड़ने का विकल्प दिया था. इस पर 31 हजार से अधिक पेंशनर्स ने योजना से दूरी बना ली. ऐसे में इनके लिए वर्ष 2006 के नियमों के तहत इलाज के खर्च बदले चिकित्सा प्रतिपूर्ति का नियम था. अब चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिलों के भुगतान के संबंध में सरकार की ओर से आदेश नहीं हुए हैं. ऐसे में विभिन्न विभाग के पेंशनर्स परेशान हैं.
लोक निर्माण विभाग से सहायक अभियंता पद से रिटायर विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि उनका चिकित्सा प्रतिपूर्ति का बिल दो साल से ज्यादा समय से अटका है. गुप्ता ने बताया कि उन्होंने हृदय संबंधी रोग के इलाज के बदले ढाई लाख रुपये का बिल दिया था. भुगतान नहीं होने की वजह से उनका आगे का इलाज अटक रहा है.
चिन्यालीसौड़ से सहायक अध्यापक पद से रिटायर 81 साल के दिगंबर सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने सितंबर 2021 में दिल की बीमारी का इलाज कराया था. इसके बदले 2.25 लाख रुपये का बिल लगाया गया. उस बिल का आज तक भुगतान नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि उनके पास अब आगे इलाज कराने के लिए भी पैसे नहीं हैं.
लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त लिपिक जगत राम बलूनी ने बताया कि उन्होंने जून 2021 में एक लाख 77 हजार रुपये का बिल चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए लगाया था. कई बार मैसेज आने के बावजूद उस बिल का भुगतान आज तक नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि बिलों के बारे में कोई जानकारी देने को भी तैयार नहीं है.
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में पेंशनर्स के बिलों का भुगतान अनिवार्य रूप से 15 दिन के भीतर करने का नियम है. प्राधिकरण में कोई बिल पेंडिंग नहीं है. यदि इस तरह कोई प्रकरण सामने आता है तो उसकी जांच कराई जाएगी. -अरुणेंद्र चौहान, सीईओ, राज्य स्वास्थ्य योजना