नैनीताल न्यूज़: देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिकों के आश्रितों को सरकारी नौकरी का रास्ता और आसान होने जा रहा है. मूल जिले में नियुक्ति की बाध्यता को खत्म करते हुए निकटवर्ती जिलों में रिक्त पदों पर भी आश्रितों को नौकरी मिल सकेगी.
इसके साथ ही यूपी की तर्ज पर कलेक्ट्रेट के साथ ही अन्य सरकारी विभागों में भी शहीद आश्रित को नौकरी देने पर विचार किया जा रहा है. सैनिक कल्याण विभाग शहीद आश्रितों के पुर्नवास के लिए अपनी विभागीय नियमावली को में अहम संशोधन की तैयारी कर रहा है. संपर्क करने पर सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी का कहना है कि शहीद आश्रितों को अधिक से अधिक राहत देने के लिए विभिन्न प्रस्ताव विचाराधीन है. इस मामले में आगे की कार्यवाई को लेकर तैयारी की जा रही है.
उत्तराखंड में शहीद सैनिक के परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था है. इसके लिए डीएम के अधीन कलेक्ट्रेट में समूह ग और घ के दो-दो आरक्षित हैं. लेकिन ज्यादातर जिलों में ये पद भर चुके हैं. इससे नए शहीद आश्रितों को नौकरी का लाभ नहीं मिल रहा है. इसी प्रकार कई मौकों पर देखा गया है कि शहीद आश्रित नौकरी के लिए शैक्षिक पात्रता नहीं रखते अथवा रुचि नहीं रखते.
शहीद आश्रितों को राहत देने के प्रस्तावों पर कार्मिक, वित्त, न्याय आदि परामर्शी विभागों से राय ली जा रही है. नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा.
दीपेंद्र चौधरी, सचिव-सैनिक कल्याण
शहीद आश्रितों की समस्याओं के हल के लिए सरकार कुछ बिंदुओं पर विचार कर रही है. इसके तहत मूल जिले में तैनाती की बाध्यता को खत्म कर उपलब्धता के आधार पर दूसरे जिले में भी नियुक्ति दी जा सकती है. पद न होने की स्थिति में भविष्य में रिटायर होने वाले कर्मचारी को ध्यान में रखते हुए एक अस्थायी पद सृजित किया जाएगा.