मनसा देवी पहाड़ पर भूस्खलन के पांच स्थान चिन्हित किए
उत्तराखंड न्यूज़: उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटीगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर के निदेशक शांतनु सरकार ने कहा कि मनसा देवी पहाड़ से पांच स्थानों पर भूस्खलन हो रहा है. इन स्थानों को चिन्हित किया गया है. उन्होंने बताया कि मनसा देवी मंदिर शिवालिक पर्वत की पहाड़ियों का निरीक्षण कर प्रथम प्रत्यक्ष सूचना ली गई है. भूस्खलन के एक स्थान पर नीचे बड़ी आबादी है. भूस्खलन से बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है. इस स्थान पर प्राथमिकता के आधार पर कार्य किया जाएगा.
मनसा देवी पहाड़ तेजी से दरक रहा है. समस्या का समाधान खोजने के लिए विशेषज्ञों की टीम ने हिल बाईपास मार्ग का निरीक्षण किया. इस दौरान यूएलएमएमसी के निदेशक ने कहा कि मनसा देवी पहाड़ को दरकने से बचाने के लिए उपाय खोजे जा रहे हैं. अभी पहला सर्वे किया गया है. जिन स्थानों पर भूस्खलन हो रहा है उन स्थानों के नमूने लिए जाएंगे. पहाड़ियों का अध्ययन करने के बाद भूस्खलन को रोकने की कोशिश की जाएगी. निरीक्षण के दौरान ईई लोनिवि एसके तोमर ने टीम को हिल बाईपास मार्ग पर भूस्खलन के विभिन्न स्थानों की जानकारी दी.
इस मौके पर जीआईएस एक्सपर्ट रोहित कुमार, जीडीएमए एनालिस्ट मोहित बहुगुणा, यूएसडीएमए के भू-वैज्ञानिक, वार्डन राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क रविंद्र पुंडीर, एसडीएम पूरण सिंह राणा, आपदा प्रबंधन अधिकारी मीरा रावत, एई गणेश दत्त जोशी सहित राजस्व विभाग और नगर निगम के अधिकारी मौजूद रहे.
इस बार औसतन ज्यादा बारिश
निरीक्षण के बाद एसडीएम पूरण सिंह राणा ने बताया कि धर्मनगरी में इस बार औसतन से ज्यादा बारिश हुई है. इस कारण पहाड़ियों पर भूस्खलन हुआ है. टीम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर हिल बाईपास मार्ग की मरम्मत का कार्य जल्द शुरू किया जाएगा.
रिटेनिंग वॉल बनेगी
यूएलएमएमसी के निदेशक ने कहा कि भूस्खलन के साथ भूधंसाव हो रहा है. भूस्खलन रोकने के लिए रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी. साथ ही ठोस मिट्टी से पहाड़ों का ट्रीटमेंट किया जाएगा. बारिश का मौसम समाप्त होने के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार कर ट्रीटमेंट का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
रेल से नहीं पड़ता प्रभाव
निदेशक ने रेल गुजरने के कारण पहाड़ दरकने की बात को नकार दिया. उन्होंने कहा कि रेल गुजरने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. शिवालिक पर्वत सेंड स्टोन और मड स्टोन से बनी हुई है. मड स्टोन चिकना और सॉफ्ट होता है. बारिश होने पर मड स्टोन खिसक कर गिरता है. शिवालिक पर्वत जहां भी है वहां इस तरह की दिक्कत है.