नैनीताल न्यूज़: राज्य में पशु चारा संकट खत्म करने के लिए प्रदेश सरकार ने चारा नीति को मंजूरी दे दी है. सरकार ने इस क्षेत्र में पांच वर्ष के दौरान आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है.
सचिव पशुपालन बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि वर्तमान में राज्य की आवश्यकता के सापेक्ष हरे चारे में 31 प्रतिशत और सूखे चारे में 17 प्रतिशत की कमी रहती है. चारे की कमी की पूर्ति मुख्यरूप से पंजाब और हरियाणा से आने वाले गेहूं के भूसे से की जाती है. गत वर्ष आपूर्ति श्रंखला गड़बड़ाने से राज्य में गंभीर चारा संकट पैदा हो गया था. इस कारण राज्य में पशु चारा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार नई नीति लेकर आई रही है.
इसमें पशुपालन, सहकारिता, दुग्ध विकास के साथ ही अन्य एजेंसियों की भी भूमिका रहेगी. इसके लिए बजट का प्रबंध राज्य सरकार के साथ ही भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए की जाएगी. उन्होंने बताया कि नीति के तहत राज्य में हरे चारे की पर्याप्त उपलब्धता के लिए पशुपालकों को 13300 उन्नत किस्म के चारा बीज उपलब्ध कराने, साइलेज निर्माण क्षमता से 25 हजार मीट्रिक टन की बढ़ोत्तरी प्रस्तावित है. अगले पांच साल के लिए प्रस्तावित इस नीति के तहत कुल 31 प्रतिशत कमी में से 23.52 प्रतिशत की कमी दूर हो जाएगी. साथ ही राज्य में भूसा भंडारण के लिए 10 भूसा भंडारण
गृह का निर्माण किया जाएगा.
पशुधन मिशन योजना स्वीकृत
कैबिनेट ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड राज्य पशुधन मिशन योजना को भी हरी झंडी दे दी है. पशुपालन सचिव ने बताया कि उत्तराखंड युवाओं, विशेषकर महिलाओं को पशुपालन के जरिए उद्यमिता से जोड़ने के लिए इस मिशन को शुरू किया जा रहा है. इसके जरिए सरकार का लक्ष्य रोजगार के अवसर को बढ़ाते हुए, पलायन पर प्रभावी तरीके से रोक लगाना भी है.