उत्तराखंड

आजीवन कारावास की सजा, पति की हत्या में पत्नी का प्रेमी और पत्नी पर दोष सिद्ध

Gulabi Jagat
11 Jun 2022 7:53 AM GMT
आजीवन कारावास की सजा, पति की हत्या में पत्नी का प्रेमी और पत्नी पर दोष सिद्ध
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पति की हत्या में पत्नी और उसके प्रेमी के साथ ही उसकी पत्नी पर दोष सिद्ध हो गया

रुद्रपुर : पति की हत्या में पत्नी और उसके प्रेमी के साथ ही उसकी पत्नी पर दोष सिद्ध हो गया। मामले की विवेचना तात्कालिन थानाध्यक्ष विद्यादतत जोशी ने की थी। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण पटवा ने 13 गवाह पेश किए। अपर जिला एंव सत्र न्यायाधीश सुश्री रजनी शुक्ला ने तीनों को आजीवन कारावास की सजा के साथ 35 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण पटवा ने बताया कि तीन अप्रैल, 2019 की रात राणा प्रताप सिंह पुत्र सुरेन्द्र नाथ सिंह निवासी गंगापुर की हत्या कर दी गई थी। 4 अप्रैल को उसका शव नाले में मिला था और उसकी स्कूटी पास ही खड़ी थी। मृतक के मोबाइल की कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस ने 5 अप्रैल को अनिल कुमार सिंह व उसकी पत्नी रूकमणी देवी से हिरासत में ले पूछताछ की तो केस आइने की तरह साफ हो गया था।
मृतक की पत्नी अल्पना सिंह के साथ अनिल कुमार सिंह के अवैध संबंध में राणा प्रताप सिंह बाधक बनने के कारण दोनों ने राणा प्रताप सिंह को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। अल्पना सिंह उसी योजना के तहत अपने मायके गोरखपुर जाने के लिए कह कर घर से चली गई ताकि उस पर किसी को शक न हो। पुलिस ने जब उसकी कॉल डिटेल खंगाली तो उसकी लोकेशन उस दिन व रात में लखनऊ में थी। पीछे से अनिल कुमार सिंह ने अपने घर पर राणा प्रताप सिंह की हत्या कर दी।
उसकी पत्नी रुकमणी ने सब पता होने के बाद भी पति को बचाने का प्रयास किया। पुलिस ने अल्पना सिंह को 11 अगस्त 2019 को गिरफ्तार कर लिया था। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय सुश्री रजनी शुक्ला ने मामले की सुनवाई की। अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण पटवा ने 13 गवाह पेशकर हत्या का आरोप सिद्ध कर दिया।
शुक्रवार को एडीजे रजनी शुक्ला ने अनिल कुमार सिंह को धारा 302, 120 बी, 201 व 34 आईपीसी के तहत आजीवन कारावास व 35 हजार रुपये जुर्माना, पति की हत्या में शामिल पत्नी अल्पना सिंह व प्रेमी अनिल की पत्नी रूकमणी देवी को आजीवन कारावास व 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी।
पुलिस ने कराया था अल्पना का पॉलीग्राफ टेस्ट
जांच अधिकारी एसओ विद्यादत्त जोशी ने फाेरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने के साथ ही अल्पना का पॉलीग्राफ टेस्ट भी करवाया था। घटना का कोई चश्मदीद गवाह न होने के कारण फाेरेंसिक साक्ष्य के साथ ही पॉलीग्राफ टेस्ट जांच में सजा के लिए अहम भूमिका में सामने आया। कॉल डिटेल भी महत्वपूर्ण आधार बनी जिसमें राणा प्रताप सिंह की हत्या के दिन अनिल व अल्पना के बीच 15 बार बात हुई थी।
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