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उत्तराखंड में अंकिता भंडारी की हत्या के बाद एक और ऐसा मामला है जो चर्चा का विषय बना हुआ है। वह है उत्तरकाशी के केदार भंडारी के लापता होने का। केदार भंडारी के लापता होने पर पुलिस के खिलाफ जांच को लेकर उठ रही मांग के बाद डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर इस मामले की डीआईजी जांच शुरु हो गई है। इस मामले में डीआईजी ने तत्कालीन इंस्पेक्टर से पूछताछ भी की है।
केदार भंडारी मामले (Kedar Bhandari Case Uttarakhand) में डीजीपी अशोक कुमार ने पहले लक्ष्मण झूला कोतवाली से वहां तैनात इंस्पेक्टर संतोष सिंह कुवंर को कोतवाली से ट्रांसफर किया और उसके बाद डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल को इस मामले की जांच सौंप दी। डीआईजी गढ़वाल ने लक्ष्मण झूला के तत्कालीन इंस्पेक्टर संतोष सिंह कुवंर से मामले को लेकर पूछताछ की है साथ चोरी के संबंध में परमार्थ निकेतन के कर्मचारियों और प्रबंधकों से पूछताछ की है। डीआईजी ने घटना स्थल और जहां से केदार भंडारी भागा था वहां के सीसीटीवी फुटेज चेक किये है।
उत्तरकाशी जिले के चौंड़ियाट धौंतरी निवासी केदार भंडारी 18 अक्टूबर को कोटद्वार अग्निवीर की भर्ती के लिए गया था। 21 को भर्ती से लौटकर वह तपोवन में एक गेस्ट हाउस में रुका था। पुलिस के अनुसार 22 अगस्त को चोरी के आरोप में उसे हिरासत में लिया लेकिन उसने हिरासत से भागकर गंगा में छलांग लगा दी, तब से ही वह लापता है। जब यह मामला (Kedar Bhandari Case Uttarakhand) सोशल मीडिया में उठा तो डीजीपी अशोक कुमार ने वहां तैनात इंस्पेक्टर को वहां से ट्रांसफर कर दिया।
इस पूरे मामले पर केदार भंडारी के पिता ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं। इस मामले में यह सामने आया है कि पुलिस ने आश्रम के दानपात्र से चोरी के आरोप में केदार भंडारी को हिरासत में लिया लेकिन लक्ष्मण झूला थाने में केदार भंडारी के खिलाफ कोई मुकदमा ही दर्ज नहीं है। ऐसे में केदार भंडारी के गायब होने पर लक्ष्मण झूला पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए।
Admin4
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