उत्तराखंड

पहाड़ों का सफर जोखिम भरा, टूटे पुल बने नहीं, यहां बना जान का खतरा

Gulabi Jagat
10 July 2022 7:01 AM GMT
पहाड़ों का सफर जोखिम भरा, टूटे पुल बने नहीं, यहां बना जान का खतरा
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उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान टूटे पुल और सड़कों की मरम्मत में ढिलाई लोगों की जान पर भारी पड़ रही है। हालात यह हैं कि पिछली आपदाओं में टूटे पुल अभी तक तैयार नहीं हो पाए हैं। कई जगहों पर रपटों में जान जोखिम में डालकर लोग सफर कर रहे हैं।
विकासनगर पुल बनाए नहीं, रपटों के हवाले बाईपास रोड
देहरादून से पांवटा साहिब जाने वाले शिमला बाईपास मार्ग पर कई जगह पुल बनाने की जरूरत है। लेकिन यहां नदी-नालों पर पुल बनाने के बजाए रपटे बने हुए हैं। बरसात के दौरान कई बार रपटों पर इतना पानी हो जाता है कि पार जा पाना मुश्किल हो जाता है। बरसात में लोगों को खतरे के बीच दूसरी तरफ जाना पड़ता है।
चम्पावत गाजियाबाद में हो रही पुल की मरम्मत
चम्पावत में पिछली आपदा के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन वैकल्पिक चल्थी पुल लधिया नदी की भेंट चढ़ गया था। हालांकि यहां पर यातायात की वैकल्पिक व्यवस्था में ब्रिटिशकालीन पुल काम आ रहा है। लेकिन क्षतिग्रस्त नए पुल की मरम्मत के लिए गाजियाबाद में पार्ट्स रिपेयर होने गए हैं।
डोईवाला रानीपोखरी पुल के शुरू होने का इंतजार
अगस्त 2021 को रानीपोखरी में नदी पर बना मोटर पुल ध्वस्त हो गया था। जनवरी 2022 में इस पुल के निर्माण का काम दोबारा शुरू हुआ। अब तक यह यातायात के लिए नहीं खुल पाया है। नतीजा यह है कि लोगों को पुल के नीचे नदी पर बनाई गई वैकल्पिक सड़क से होकर गुजरना पड़ रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला के अपर सहायक अभियंता छत्रपाल सिंह ने बताया कि नया मोटर पुल बनकर लगभग तैयार हो चुका है।
रुद्रप्रयाग घनसाली मार्ग पर चार दिन से यातायात बंद
रुद्रप्रयाग जिले में बीते वर्ष आई आपदा से कोई पुल नहीं टूटे हैं जबकि वर्तमान में तिलवाड़ा-घनसाली मोटर मार्ग पर कुटमाणा में बीते चार दिन पहले पुल का एक एवेडमेंट धंस गया जिससे यहां पुल को खतरा पैदा हो गया है। इस मार्ग पर चार दिनों से आवाजाही बंद है। यह मार्ग घनसाली से तिलवाड़ा होते केदारनाथ हाईवे पर मिलता है। इस मार्ग से यात्रियों की आवाजाही होती है, मार्ग बंद होने से लोग परेशान हैं।
ऊधमसिंह नगर पुल तो बना नहीं रपटा भी हुआ बदहाल
खटीमा में दो साल पहले परवीन नदी में बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। क्षतिग्रस्त पुल करीब 12 हजार की आबादी को जोड़ता है। यहां नया पुल अब तक नहीं बन सका है। पुल क्षतिग्रस्त होने पर यहां जो रपटा बनाया वह भी क्षतिग्रस्त हो गया है। किच्छा में 2016 में बरसात के मौसम में गौला नदी पर बना रपटा पुल क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन इसकी मरम्मत अब तक नहीं हो पाई। रुद्रपुर में कल्याणी नदी पर पुलिया दो साल बाद भी तैयार नहीं हो पाई है।
बागेश्वर पिछली आपदा के टूटे पुल अब तक न बने
आपदा में तीन पुल टूट गए थे। अब तक इन पुलों पर काम पूरा नहीं हो पाया। जिसका खामियाजा क्षेत्र की करीब पांच हजार की आबादी उठा रही है। जिले के कपकोट क्षेत्र में सर्वाधिक रपटे हैं, जो मानसून काल में पूरे उफान पर आ जाते हैं। पिंडारी मार्ग स्थित डणूं के पास बना रपटा इन दिनों पूरे उफान पर है।
पिथौरागढ़ थल-मुनस्यारी का पुल नहीं बन पा रहा
पिथौरागढ़ में आपदा में थल-मुनस्यारी सड़क पर द्वालीगाड़ में बना पुल टूटा है। यह पुल अभी नहीं बन पाया है। वहीं, आपदा में धारचूला-तवाघाट सड़क पर कनज्योति के पास लोहे का पुल टूटा था। हालांकि दो माह बाद यहां नये पुल का निर्माण कर दिया गया।
संवेदनशील रपटों को चिह्नित किया जा रहा है। वहां सुरक्षा के पुख्ता प्रंबंध किए जाएंगे। वित्तीय स्थिति के अनुसार पुल बनाने पर भी विचार किया जाएगा।
आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव लोनिवि
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