उत्तराखंड

घोटाले में जल संस्थान के अधिकारी भी शामिल

Sonam
30 July 2023 8:10 AM GMT
घोटाले में जल संस्थान के अधिकारी भी शामिल
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एसटीपी के संचालन हुए अनुबंध में शुरूआत से अब तक तमाम तरह की अनियमिताएं पाई गई हैं। इस अनुबंध के हिसाब से निगरानी करने में भी जल संस्थान के अधिकारी असफल रहे हैं। ऐसे में एसटीपी ने विभाग को कई संदिग्ध बिल भेज दिए, जिनका बिना जांच परख के संस्थान ने भुगतान भी कर दिया।

ऐसे में एडीएम ने संबंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी विभागीय जांच की संस्तुति की है। इसके अलावा दुर्घटना के लिए जिम्मेदार कर्मियों पर भी कार्रवाई के लिए कहा है। जांच रिपोर्ट के अनुसार एसटीपी संचालन और मेंटेनेंस के लिए कंपनी की ओर से जल संस्थान को प्रस्तुत किए गए बिल संदिग्ध हैं।

ये सभी बिल बढ़ा-चढ़ाकर बनाए गए हैं। ऐसे में इन सभी बिलों की जांच की जाएगी। साथ ही जिन अधिकारियों व कार्मिकों ने बिलों का भुगतान किया उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने को भी एडीएम ने लिखा है। एडीएम ने जांच में पाया है कि प्लांट का संचालन करने में विद्युत विभाग और जल संस्थान के अधिकारियों के बीच आपसी सामंजस्य की भी कमी थी। इसी के चलते यह भीषण हादसा हुआ। इनके खिलाफ कानून के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।

ऊर्जा निगम भी जांच के दायरे में

प्लांट में सारा काम हवा हवाई चल रहा था। इस प्लांट को वह व्यक्ति देख रहा था जो ज्वाइंट वेंचर का अधिकृत अधिकारी या कर्मचारी ही नहीं था। जिन मशीनों के संचालन के लिए तकनीकी दक्ष कर्मियों की जरूरत होती है वहां संस्कृत और सामान्य बीए पास कर्मियों को रखा गया। एसटीपी का बिजली का बिल हर महीने बीपीएल परिवार से भी कम आ रहा था। लेकिन न तो ऊर्जा निगम ने इसकी जांच की न ही जल संस्थान ने इसका संज्ञान लेने की जरूरत समझी।

ढाई साल से बिना समझौते के एसटीपी का संचालन कर रहा था भास्कर महाजन

चमोली में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन वर्ष 2021 से एक्सिस पावर कंट्रोल्स दिल्ली के डायरेक्टर भाष्कर महाजन की ओर से किया जा रहा था, लेकिन प्लांट संचालन की लीड पार्टनर जय भूषण मलिक कांट्रैक्टर पटियाला और मैसर्स कांफिडेंट इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कोयंबटूर की ओर से भास्कर महाजन के साथ कोई लिखित समझौता नहीं किया गया था। मौखिक समझौते पर ही प्लांट का संचालन किया जा रहा था। यानी प्लांट के संचालन, स्ट्रेक्चर व देखरेख हर स्तर पर लापरवाही सामने आई है। जिससे हादसा इतना भीषण हुआ।

ये भी हुई अनियमितताएं

-ज्वाइंट वेंचर फर्म मेसर्स जयभूषण मलिक कांट्रेक्टर पटियाला (लीड पार्टन) और मेसर्स कांफिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कोयंबटूर के साथ उत्तराखंड जल निगम व जल संस्थान के बीच हुए अनुबंध का उल्लंघन किया गया।

-ज्वाइंट वेंचर फर्म का अनुबंध के अनुरूप कार्मिकों की तैनाती नहीं की गई।

-भास्कर महाजन डायरेक्टर एक्सिस पावर कंट्रोल्स दिल्ली का ज्वाइंट वेंचर फर्म का अधिकृत व्यक्ति न होते हुए भी कार्य किया।

-भास्कर महाजन, मेसर्स जयभूषण मलिक कांट्रेक्टर पटियाला के जय भूषण मलिक और मैसर्स कांफिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कोयंबटूर के रत्ना कुमार ने एक दूसरे पर आरोप लगाने से अनुबंध का उल्लंघन किया है।

एमसीबी बॉक्स और अर्थिंग मानकों के अनुरूप न होना हादसे की प्रमुख वजह

हादसे की प्रमुख वजह एसटीपी में एमसीबी बॉक्स का न होना माना गया है। यहां विद्युत लाइन को सीधे चेंज ओवर बॉक्स में जोड़ा गया था। इसके साथ ही प्लांट में अर्थिंग भी मानकों के अनुरूप नहीं थी। ऐसे में जब विद्युत आपूर्ति शुरू हुई तो यहां फाल्ट हो गया और करंट एसटीपी के लोहे के ढांचे में फैल गया।

करंट हादसे की जांच में जांच अधिकारी ने विद्युत सुरक्षा विभाग की आख्या का हवाला देते हुए लिखा है कि मीटर के बाद एमसी जंक्शन बॉक्स एमसीसीबी की उचित क्षमता के साथ लगा होना चाहिए था। लेकिन वहां पर एमसी बॉक्स नहीं लगा था। इसकी जगह पर चेंज ओवर का प्रयोग किया जा रहा था। वहीं एसटीपी परिसर में अर्थिंग मानक के अनुरूप नहीं पाई गई। अर्थिंग के लिए वैल्यू मानकों से अधिक थी।

ऐसे में शार्ट सर्किट होने पर करंट की अर्थिंग न होकर एसटीपी के लोहे के ढांचे और रेलिंग में फैल गया। एमसी बॉक्स की जगह लगाए गए चेंज ओवर में शार्ट सर्किट हुआ और कंट्रोल पैनल और मेन पैनल में तीव्र अर्थ फाल्ट हुआ। करंट को निर्धारित मार्ग में उचित अर्थिंग नहीं मिली, जिससे करंट कनेक्शन से जुड़े लोहे के स्ट्रक्चर जिसमें प्लांट में प्रवेश के लिए बनी सीढि़यां, रेलिंग आदि में फैल गया। वहां उपस्थित लोग जो भी लोहे के स्ट्रक्चर के संपर्क में आए उनकी करंट से मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।

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