गाजियाबाद जिले में जमीन की जानकारी सिंगल विंडो पर मिलेगी
गाजियाबाद: जनपद में जमीन को लेकर हो रहे फर्जीवाड़े पर अंकुश लग सकेगा. रजिस्ट्री कराने से पहले जमीन के बारे में पड़ताल की जाएगी. इसके लिए तहसीलों में सिंगल विंडो के रूप में हेल्पडेस्क बनाई जा रही है. यहां पूरा रिकॉर्ड होगा. भूमि की जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जा रही है.
जमीन की खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़े को लेकर शिकायतें आती रहती हैं. भू-माफिया सरकारी जमीन को अपनी बताकर लोग को बेच देते हैं. उसके बाद खरीदारों को दिक्कत होती है. इतना ही नहीं फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कर लोग भूमि की रजिस्ट्री करा लेते हैं. ऐसे भू-माफियों पर अंकुश लगाने के लिए अब प्रशासन तहसीलों में नई व्यवस्था करने जा रहा है. इसके लिए तहसील में हेल्पडेस्क बनाई जा रही है.
इन हेल्पडेस्क के जरिए कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन के बारे में जानकारी ले सकेगा. जमीन सरकारी है या उस पर किसका नाम दर्ज है, इसकी जानकारी हेल्पडेस्क के जरिए पता चल सकेगी.
रजिस्ट्री से पहले दस्तावेजों की जांच होगी रजिस्ट्री विभाग में बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच को लेकर दिक्कत होती है. कई बार फर्जी दस्तावेज लगाकर लोग रजिस्ट्री करा लेते हैं. शासन ने सभी रजिस्ट्री विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह खसरे-खतौनियों के मामलों को पहले हेल्पडेस्क के माध्यम से जांच करें. इसके बाद रजिस्ट्री की जाए.
पांच सौ से अधिक होती हैं रजिस्ट्री जिले में आठ सब रजिस्ट्रार कार्यालय पर रोजाना 500 से अधिक रजिस्ट्री होती है. रजिस्ट्री के दौरान पता नहीं चलता ही जमीन खसरा खतौनी में किसके नाम दर्ज है. तहसील में बन रहीं हेल्पडेस्क से इसका समाधान हो सकेगा.
हेल्पडेस्क ऐसे काम करेगी
जिस भी व्यक्ति को किसी भूमि की रजिस्ट्री करानी होगी तो वह उसके बारे में हेल्पडेस्क को लिखित आवेदन करेगा. हेल्पडेस्क पर बैठा कर्मचारी आवेदक का प्रार्थना पत्र लेकर जमीन के बारे में पड़ताल करेगा. उसके बाद जमीन की पूरी रिपोर्ट निकाली जाएगी. जमीन किस खसरे और खतौनी में है और किसके नाम दर्ज है. जमीन कितनी बार बेची गई है. किसी योजना में तो नहीं आ रही है. इन सभी बातों की जानकारी खरीदने वालों को मिल सकेगी.
जनपद में जमीन के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कई योजनाएं लागू की गई हैं. तहसीलों में इसके लिए विशेष काउंटरों की व्यवस्था की गई है. लोगों से अपील है कि जमीन खरीदने से पहले उसके बारे में सही से जांच करा लें.
-इंद्रविक्रम सिंह, जिलाधिकारी