देहरादून न्यूज़: कोरोना का खतरा भले ही टल गया हो, लेकिन इसके दुष्प्रभाव लगातार सामने आ रहे हैं. कोरोनाकाल में मजबूरी बने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, घर और ऑफिस की चहारदीवारी की सीमित दिनचर्या का असर अब लोगों की आंखों में दिखाई दे रहा है. इससे आंखों की पुतली का आकार बढ़ने की शिकायतें सामने आ रही हैं. जिससे नजर संबंधी दिक्कतें बढ़ रही हैं. मेडिकल टर्म में इस बीमारी को मायोपिया कहा जाता है. ऑनलाइन पढ़ाई और वीडियो गेम्स के चलते 10 से 15 साल के बच्चे तेजी से इस तकलीफ की चपेट में आ रहे हैं. वर्क फ्रॉम होम वाले कर्मचारी भी इससे पीड़ित हैं.
हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज का नेत्र रोग विभाग इस पर शोध करने की तैयारी में है.
कॉलेज के मेडिकल सुपरिटेंडेंट और नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉ.गोविंद सिंह तितियाल का कहना है कि कोविड के बाद शुरुआती दिनों में हालात इतने खराब नहीं थे. यहां 150 की ओपीडी में अमूमन दो या तीन मरीज ही इस तकलीफ से पीड़ित मिलते थे. अब आंकड़ा बढ़ रहा.
कोरोना के बाद से सुशीला तिवारी अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में मायोपिया के करीब 10 प्रतिशत मरीज आ रहे हैं. बच्चों में यह समस्या ज्यादा आ रही है. इसीलिए नेत्र रोग विभाग स्कूली बच्चों के आंखों की स्क्रीनिंग को लेकर स्कूलों को पत्र लिखने जा रहा है. वहीं परिजनों को बच्चों को लैपटॉप एवं मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करने की सलाह दी जा रही है.
-डॉ.गोविंद सिंह तितियाल, मेडिकल सुपरिटेंडेंट एवं एचओडी, नेत्र रोग विभाग