उत्तराखंड

IMA POP: वीरभूमि उत्तराखंड में 43 युवा अफसर भारतीय सेना में शामिल

Deepa Sahu
11 Dec 2021 4:09 PM GMT
IMA POP: वीरभूमि उत्तराखंड में 43 युवा अफसर भारतीय सेना में शामिल
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वीरभूमि उत्तराखंड के युवा मातृभूमि की रक्षा के लिए हमेशा से ही अंग्रिम पंक्ति में खड़े रहते हैं।

वीरभूमि उत्तराखंड के युवा मातृभूमि की रक्षा के लिए हमेशा से ही अंग्रिम पंक्ति में खड़े रहते हैं। इसकी बानगी हर वर्ष पीओपी में भी देखने को मिलती है। हर साल उत्तराखंड के बड़ी संख्या में युवा पासआउट होकर बतौर अफसर भारतीय सेना में शामिल होते हैं।

इस बार भी इंडियन मिलिट्री एकेडमी से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर उत्तराखंड के 43 नौजवान शनिवार को पास आउट होकर बतौर लेफ्टिनेंट सेना का अभिन्न अंग बन गए हैं। इन युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। कहा जा सकता है कि सूबे की युवा ब्रिगेड वीरभूमि की सैन्य परंपरा को निरंतर आगे बढ़ाकर राज्य का गौरव बढ़ा रही है।
शनिवार को आईएमए में आयोजित हुई पासिंग आउट परेड में प्रदेश के लगभग सभी जनपदों का प्रतिनिधित्व रहा है। देहरादून के सबसे अधिक युवा पास आउट होकर सेना में अफसर बने हैं। पीपिंग व ओथ सेरेमनी की रस्म पूरी होने के बाद सभी उत्तराखंडी एक-दूजे से गले मिले। अब ये सभी सेना की अलगअलग यूनिटों व रेजीमेंटों को ज्वाइन कर बतौर अफसर अपनी सैन्य पारी की शुरुआत करेंगे।
दादा, पापा और अब खुद सेना में अफसर बने दून के अतुल
दून के मोथरोवाला के रहने वाले अतुल लेखवार के परिवार की तीन पीढ़ियां देश सेवा को समर्पित हैं। दादा और पापा के बाद खुद अतुल सेना में अफसर बन गए हैं। शनिवार को सैन्य अकादमी देहरादून में हुए दीक्षांत समारोह में अतुल ने कठिन प्रशिक्षण पूरा करके भारतीय सेना में अफसर बन माता-पिता का सपना साकार किया। पूरा परिवार सेना को समर्पित होने की उपलब्धि पर अतुल के चाचा रमेश प्रसाद लेखवार और मां उमा लेखवार ने कहा कि बेटे ने परिवार का नाम रोशन किया है। अतुल के पिता स्व. सतीश प्रसाद लेखवार सुबेदार के पद से रिटायड हुए थे। जबकि दादा भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
शिक्षक दंपत्ति का बेटा सेना में बना अफसर
बौंसला पिलखी टिहरी गढ़वाल निवासी शिक्षक दंपत्ती का बेटा उज्जवल नौटियाल शनिवार को सेना में अफसर बन गया। उज्जवल नौटियाल के पिता यशवंत प्रसाद नौटियाल एवं मां कविता नौटियाल दोनों ही शिक्षक हैं। यशवंत प्रसाद नौटियाल ने कहा कि उनका बेटा उज्जवल दादा सुरेंद्र दत्त नौटियाल एवं दादी सुमित्रा देवी की प्रेरणा से ही सेना में अफसर बनने की प्रतिज्ञा ली थी। उज्जवल ने आज दादा दादी के साथ ही परिजनों का सपना पूरा किया है। उज्जवल नौटियाल की पढ़ाई सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से हुई है। उज्जवल ने पहली बार में ही एनडीए की परीक्षा पास की थी। बेटे ने परिवार और उत्तराखंड का नाम रोशन करने का काम किया है।
होटल मैनेजमेंट करने के बाद सेना में जाने का बनाया मन
नैनीताल के कोटाबाग, रामनगर निवासी गौरव कुमार जोशी शनिवार को सेना में अधिकारी बन गए हैं। गौरव ने होटल मैनेजमेंट करने के बाद सेना में जाने का मन बनाया था। गौरव के पिता रिटायर्ड सुबेदार मेजर सतीश चंद्र जोशी ने बताया कि बेटे की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल चंडीगढ़ से पूरी हुई। इसके बाद होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया। फिर दो साल तक सिविल में नौकरी की। इसके साथ ही वे सेना में अफसर बनने की तैयारी में जुट गए। एसीसी के माध्यम से यहां तक पहुंचा। उन्होंने कहा कि बेटे ने परिवार का नाम रोशन करने का काम किया है। गौरव की मां गीता देवी गृहणी हैं। बहन रितू जोशी शर्मा भी भाई को स्टार लगाने के लिए पीओपी में पहुंची।
पिता से मिली देश सेवा करने की प्रेरणा
पूर्व सैनिक ताजवर सिंह बिष्ट का बेटा संदीप बिष्ट शनिवार को सेना में अफसर बन गए। उन्होंने कहा कि पिता से ही देश सेवा करने की प्रेरणा मिली है। कोटद्वार के नीबूचौड़ निवासी संदीप बिष्ट ने आर्मी स्कूल लैंसडाउन से पढ़ाई की। संदीप ने कहा कि बचपन से ही उन्हें सेवा में जाकर देश सेवा करने का सपना था। आज सेना में अफसर बन उनका सपना पूरा हो गया। संदीप की पत्नी पूजा बिष्ट पेशे से शिक्षिका है। मां गुड्डी देवी गृहणी हैं। जबकि बड़ा भाई बंग्लौर में नौकरी करते हैं।
एसीसी से मिला सेना में अफसर बनने का प्लेटफार्म
पहले छह साल तक बतौर सिपाही फौज में नौकरी करने के बाद चमोली जिले के थराली विकासखंड के चेपड़ो गांव निवासी भरत सिंह को शनिवार को सेना में अफसर बन गए। भरत अपने परिवार के साथ हर्रावाला के सैनिक कालोनी में रहते हैं। भरत को आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) से सेना में अफसर बनने का प्लेटफार्म मिला है। वह छह साल तक सिपाही के तौर पर मैकेनाइज्ड इंफेंट्री में तैनात रहे। इसके बाद एसीसी से भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला मिला और अपनी मेहनत के बूते पास आउट होकर सेना में अफसर बन गए हैं। उन्हें आर्मी सर्विस कोर में कमीशन प्राप्त हुआ है। उनके पिता बलवंत सिंह भी सेना से हवलदार रैंक से रिटायर हुए हैं। मां पार्वती देवी गृहणी है। बड़ा भाई खिलाप सिंह जम्मू में बतौर हवलदार तैनात हैं और छोटा भाई सूरज सिंह राज्य के आबकारी विभाग में तैनात है।
वर्दी के जुनून से मिली सेना में अफसर बनने की प्रेरणा
दून के बंजारावाला निवासी अमन नेगी को वर्दी के जुनून ने सेना में अफसर बनने की प्रेरणा दी और शनिवार को वह सेना में अफसर बन भी गए। अमन के पिता शीशपाल नेगी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में वरिष्ठ फार्मेसिस्ट और माता रीता नेगी गृहणी हैं, जबकि छोटी बहन जर्मनी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है। परिवार में भले ही कोई सेना में नहीं रहा हो, लेकिन अमन के दिल में सैन्य वर्दी के प्रति बचपन से ही विशेष रुचि रही। मूल रूप से चंबा के निवासी अमन ने हाई स्कूल करने के बाद देहरादून का रुख किया और यहां दून इंटरनेशनल स्कूल से 12वीं उत्तीर्ण की। खुद को सैन्य वर्दी में देखने की चाहत ने उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में सफलता दिलाई और भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में अमन को प्रवेश मिला। उन्हें पीओपी के दौरान जेएंडके राइफल मेडल (द्वितीय नीतिगत दक्षता) से भी नवाजा गया।
प्रत्युष को दादा से मिली देश सेवा करने की प्रेरणा
पौड़ी के डबरालस्यू निवासी प्रत्युष डबराल को अपने दादा स्व. सचिता नन्द डबराल से देश सेवा करने की प्रेरणा मिला है। प्रत्युष शनिवार को जब सेना में लेफ्टिनेंट बने तो परिवार के सभी सदस्यों में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रत्युष की मां रंजना डबराल पेशे से शिक्षिका हैं। जबकि पिता दिनेश डबराल उत्तराखंड वन विकास निगम से सीनियर ऑडिटर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। प्रत्युष की बहन प्रतिष्ठित एक निजी कंपनी में नौकरी करती हैं। लेफ्टिनेंट प्रत्युष स्कूल में मेधावी छात्र रहे हैं। बोर्ड परीक्षा में प्रत्युष ने 94 फीसदी अंक प्राप्त किए थे। जबकि एनडीए की परीक्षा में पहली ही बार में सफलता भी हासिल की थी।
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने टिहरी के मयंक सुयाल
चंबा ब्लॉक के पाली गांव निवासी मयंक सुयाल भारतीय सेना में अधिकारी बन गए हैं। शनिवार को आईएमए में हुई पासिंग आउट परेड के बाद वह लेफ्टिनेंट बन गए हैं। पीओपी में उनके कंधों पर सितारे लगाते ही परिजनों के चेहरे खिल उठे। मयंक के लेफ्टिनेंट बनने पर जिले के लोग खासे उत्साहित हैं। चंबा ब्लॉक के मनियार पट्टी के पाली गांव निवासी और वर्तमान में मोथरोवाला देहरादून में निवासरत मयंक सुयाल शनिवार को चार साल के कड़े प्रशिक्षण के बाद सेना में अधिकारी बन गए हैं। उनके पिता परमानंद सुयाल 17वीं गढ़वाल राइफल से बतौर हवलदार सेवानिवृत्त होकर वर्तमान में एफआरआई देहरादून में खेल अधिकारी के पद पर तैनात हैं। जबकि मां मीना सुयाल गृहणी हैं। छोटी बहन प्रिया ग्राफिक एरा से बीकॉम आनर्स की पढ़ाई कर रहीं हैं।
पिथौरागढ़ के तीन युवा बने सेना में अधिकारी
पिथौरागढ़ जिले के तीन होनहार युवा सेना में अधिकारी बन गए हैं। उन्हें पासिंग आउट परेड (पीओपी) में लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। बिहार के गया जिले में हुई पासिंग आउट परेड में सीमांत जिले के वल्थी निवासी सूबेदार मेजर मनोहर सिंह देवली के पुत्र धर्मेंद्र सिंह देवली को सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। उनके बड़े पुत्र पिछले साल सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट बन चुके हैं। थल के टोपराधार निवासी रविंद्र सिंह खर्कवाल ने देहरादून में आयोजित पीओपी में सेकेंड लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। रविंद्र सिंह खर्कवाल के दादा 1990 में छह कुमाऊं से कैप्टन पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। पिता कुंदन सिंह खर्कवाल सेना से 2014 में सेवानिवृत्त होकर पिथौरागढ़ मे आर्मी अस्पताल मे कार्यरत हैं। माता शशिकला खर्कवाल गृहिणी हैं। छोटा भाई होशियार सिंह मर्चेंट नेवी में कार्यरत है। रविंद्र ने कक्षा एक से 12वीं तक की पढ़ाई जनरल बीसी जोशी आर्मी पब्लिक स्कूल और आगे की शिक्षा देहरादून से प्राप्त की। जौलजीबी के चिफलतरा निवासी पुष्पक धामी भी सेना में अधिकारी बने हैं। उनका परिवार सरस्वती विहार कॉलोनी में रहता है। पुष्पक की सफलता पर किशन सिंह धामी और माता हीरा धामी ने खुशी जताई है। पुष्पक ने 10वीं तक की पढ़ाई एशियन स्कूल और 12वीं की पढ़ाई बीसी जोशी पब्लिक स्कूल से की है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक किया गया।
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