उत्तराखंड

ICSE 2022 Topper: महज एक अंक की दूरी और हाथ से फिसल गया देश में टापर बनने का ताज

Gulabi Jagat
18 July 2022 8:31 AM GMT
ICSE 2022 Topper: महज एक अंक की दूरी और हाथ से फिसल गया देश में टापर बनने का ताज
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देश में टापर बनने का ताज
देहरादून: ICSE 2022 Topper : चार विषयों में 100 में से 100 अंक और एक विषय में 98 अंक। महज एक अंक की दूरी और हाथ से फिसल गया देश में टापर बनने का ताज। 99.60 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तराखंड की टापर बनी दून की तन्वी शर्मा अपनी उपलब्धि से संतुष्ट तो हैं, लेकिन इस बात का मलाल भी उन्हें रहेगा कि भरपूर तैयारी के बाद भी देश की टापर बनने का उनका सपना अधूरा रह गया।
यह खाई पैदा की अंग्रेजी विषय ने। वैसे तो अंग्रेजी सिर्फ एक भाषा है और विज्ञान व गणित जैसी जटिल भी नहीं। मगर, अंग्रेजी को इसी तरह आसान मानने की भूल अकसर अधिकतर छात्र कर बैठते हैं। यही एक चूक तन्वी से भी हुई और सर्वश्रेष्ठता का खिताब सिर सजते-सजते रह गया।
दसवीं के परिणाम में 110 छात्र-छात्राओं ने शीर्ष-तीन में बनाई जगह
सीआइएससीई के दसवीं के परिणाम में 110 छात्र-छात्राओं ने शीर्ष-तीन में जगह बनाई है। पहले पायदान पर चार छात्र-छात्राओं ने अपना कब्जा जमाया है। उन्होंने 500 में 499 अंक हासिल किए हैं। आइसीएसई में चार सर्वश्रेष्ठ विषय के साथ ही अनिवार्य विषय के तौर पर अंग्रेजी को लिया जाता है।
तन्वी ने परीक्षा में 498 अंक हासिल किए हैं। उन्हें देशभर में दूसरा स्थान मिला है। यानी पहले पायदान से वह बस एक अंक दूर रह गई। उत्तराखंड के छात्रों के साथ इससे पहले भी ऐसा हो चुका है। आइसीएसई व आइएससी में कई बार छात्र एक या दो अंक से शीर्ष स्थान पाने से चूके हैं। बहरहाल, देश में उन्होंने जो उपलब्धि हासिल की है, वह आने वाली कई पीढ़ियों के लिए मिसाल है।
अंग्रेजी ने बिगाड़ दिया अंकों का गणित
10वीं (आइसीएसई) के परीक्षा परिणाम में अंग्रेजी इस बार भी छात्रों पर भारी पड़ी। अन्य विषयों में बेहतर अंक पाने वाले छात्र अंग्रेजी में पिछड़ गए। इसका प्रभाव उनके ओवरआल रिजल्ट पर भी पड़ा है। प्रदेश में 99 प्रतिशत तक अंक प्राप्त करने वाले धुरंधर छात्रों का ही उदाहरण लीजिए। यूं तो कई विषयों में उन्होंने अंकों का सैकड़ा लगाया, लेकिन अंग्रेजी में उनका प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से कमजोर रहा। अंग्रेजी के साथ ही कुछ हद तक हिंदी ने भी छात्रों को झटका दिया।
वैसे तो अंग्रेजी महज एक भाषा है और विज्ञान व गणित जैसी जटिल भी नहीं है। ऐसे में अधिकतर छात्र अंग्रेजी को आसान मानने की भूल कर बैठते हैं और पूरा ध्यान अन्य विषयों पर लगा देते हैं। विगत वर्षों में ऐसा कई बार हुआ कि इस चूक के कारण सर्वश्रेष्ठ का ताज दून के धुरंधरों के सिर सजते-सजते रह गया। उत्तराखंड में प्रथम स्थान पर रहीं ब्राइटलैंड्स स्कूल की तनवी ने चार विषयों में 100 अंक अर्जित किए, लेकिन अंग्रेजी में उन्हें 98 अंक ही प्राप्त हुए। इससे वह राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करने से चूक गईं। असल में 10वीं की बोर्ड परीक्षा में छात्र अमूमन अंग्रेजी को इतनी गंभीरता से नहीं लेते।
अधिकतर छात्र इसे टेक इट ग्रांटेड विषय के तौर पर लेते हैं। खासकर मेधावी छात्रों का ध्यान गणित और विज्ञान जैसे चुनिंदा विषयों पर ही होता है। इस सोच का नतीजा बुरा होता है। अंग्रेजी अनिवार्य विषय है। इसमें गलतियों के कारण न सिर्फ अंग्रेजी के पेपर में कम नंबर मिलते हैं, बल्कि अंतिम नतीजों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 10वीं में टाप पांच विषयों से प्रतिशत निकाला जाता है। गणित, विज्ञान और कंप्यूटर साइंस जैसे मुश्किल विषयों में कई छात्रों ने 100 में से 100 नंबर हासिल किए हैं। कई छात्र ऐसे भी हैं, जिनके दो से तीन विषयों में 100 नंबर हैं। लेकिन, इस सैकड़े पर अंग्रेजी भारी पड़ी।
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