उत्तराखंड

उत्तराखंड को हुनर हाट ने दिखाई नई राह, 'वोकल फार लोकल' की मुहिम बढ़ा

Kunti Dhruw
9 Nov 2021 1:38 PM GMT
उत्तराखंड को हुनर हाट ने दिखाई नई राह, वोकल फार लोकल की मुहिम बढ़ा
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आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में चल रही.

देहरादून। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में चल रही पहल 'हुनर हाट' की श्रृंखला के अंतर्गत देहरादून में आयोजित 30 वें आयोजन ने उत्तराखंड को नई राह दिखाई है। हुनर हाट को लेकर दूनवासियों ने जिस तरह गजब का उत्साह दिखाया, उससे राज्य स्तर पर होने वाले ऐसे आयोजनों को लेकर नई उम्मीद का संचार हुआ है। इससे प्रेरित होकर राज्य भी अब ऐसे आयोजन कर 'वोकल फार लोकल' की मुहिम को तेजी से आगे बढ़ा सकता है।

देवभूमि उत्तराखंड भी दस्तकारों, शिल्पकारों, बुनकरों व कारीगरों की स्वदेशी विरासत से भरपूर है। यहां के उत्पादों को भी खासा पसंद किया जाता है, लेकिन पर्याप्त अवसर और बाजार न मिलने की वजह से यहां के दस्तकारों, शिल्पकारों, बुनकरों व कारीगरों को प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, इसके लिए मेलों का आयोजन किया जाता है, लेकिन इनकी संख्या चुनिंदा ही है। यही नहीं, देश के अन्य राज्यों में होने वाले ऐसे आयोजनों का अपेक्षाकृत लाभ भी उन्हें नहीं मिल पाता है।
हालांकि, अब प्रदेश सरकार ने राज्य के उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए जीआइ (भौगोलिक संकेतांक) टैग की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। आठ उत्पादों को जीआइ टैग मिलने से इनकी वैश्विक स्तर पर पहचान बढ़ेगी। साथ ही अन्य उत्पादों को भी जीआइ टैग दिलाने के लिए आवेदन किया गया है। यह तो ठीक है, लेकिन असल मसला उत्पादों की मार्केटिंग से जुड़ा है। इस मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इसकी राह दिखाने में हुनर हाट प्रेरणा देने का काम कर सकता है।
जानकारों के मुताबिक जिस तरह हुनर हाट में देश के विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों, दस्तकारों, बुनकरों व कारीगरों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित करने के साथ ही उनकी बिक्री की, उसी तर्ज पर राज्य में हस्तशिल्प मेलों का आयोजन किया जाना चाहिए। इनमें प्रत्येक जिले की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इससे जहां राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों के बुनकरों, कारीगरों को लाभ मिलेगा, वहीं उनके उत्पादों की बिक्री को बाजार उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही ऐसे मेलों में राज्य की सांस्कृतिक थाती, यहां के खान-पान का प्रदर्शन भी होना आवश्यक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इस दिशा में प्रभावी कदम उठाना सुनिश्चित करेगी।
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