उत्तराखंड
पिथौरागढ़ में गम्भीर बीमारियों का एक ही इलाज है हायर सेंटर रेफर
Manish Sahu
12 Sep 2023 6:43 PM GMT
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उत्तराखंड: सीमांत जिले पिथौरागढ़ की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं किसी से छुपी नहीं है. यहां मरीजों का इलाज कम हायर सेंटर रेफर ज्यादा होता है. क्योंकि पिथौरागढ़ का जिला अस्पताल लंबे समय से डॉक्टर और अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. साढ़े पांच लाख की आबादी वाले जिले पिथौरागढ़ की स्वास्थ्यसेवा एकमात्र जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जिला अस्पताल और महिला अस्पताल पर टिकी है. जहां पर पिथौरागढ़ के अलावा नेपाल और चंपावत से भी लोग इलाज के लिए पहुँचते हैं. लेकिन गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए विशेषज्ञों की कमी के चलते ज्यादातर मरीज अपना इलाज कराने बड़े शहरों की ओर मजबूरन रुख करते हैं और कई मामलों में रेफर किये गए मरीजों ने आधे रास्ते में ही दम तोड़ दिया है.
जिससे यह कहना गलत नहीं होगा कि मरीजों का इलाज करने वाला जिला अस्पताल खुद ही बीमार पड़ा है जोकि कहीं न कहीं पिथौरागढ़ की जनता के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ है. यहां लम्बे समय से कार्डियोलोजिस्ट की तैनाती ना होने से दिल से सम्बंधित बीमारी के लिए मरीजों को अन्य शहरों में रेफर होना पड़ता है.
जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी एच एस ह्यांकी से जब रिक्त पदों को स्थिति पर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि जिले में रिक्त पदों को भरने के लिए लंबे समय से शासन को पत्राचार किया गया है. समय-समय पर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था से उच्चाधिकारियों को अवगत कराने की बात भी उन्होंने कही है. वहीं बेस अस्पताल का भी लाभ न मिलने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है. राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र भट्ट ने बेस अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति कर उसका लाभ जनता को देने की मांग भी की है.
सीमांत जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल में लंबे समय से कार्डियोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट सहित कई अन्य पदों पर चिकित्सक नहीं होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
चिकित्सकों के नहीं होने के कारण गंभीर मामलों में अस्पताल महज रेफर सेंटर बनकर रह जाता है. सीमांत जिला अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ, त्वचा एवं चर्म रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट का पद लंबे समय से रिक्त चल रहा है. हृदयरोग विशेषज्ञ के नहीं होने से हृदय रोग से पीड़ित लोगों को फिजिशियन देख रहे हैं. गंभीर लगने पर उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है. अधिकतर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. अस्पताल में त्वचा में संक्रमण और चर्म रोग के भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं. विशेषज्ञ चिकित्सक के नहीं होने से मरीजों को मजबूरन हायर सेंटर की ओर रुख करना पड़ता है।
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Manish Sahu
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