उत्तराखंड
कॉर्बेट पार्क में हाथी कॉरिडोर पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, आदेश के प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर
Gulabi Jagat
3 Sep 2022 4:53 PM GMT

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नैनीताल। कॉर्बेट पार्क में हाथी कॉरीडोर को लेकर नैनीताल उच्च न्यायालय ने बड़ा और महत्पूर्ण फैसला दिया है। चीफ जस्टिस ने गवर्नमेंट को बोला है कि रामनगर मोहन रोड में हाथी कॉरिडोर पर किसी भी तरह का होटल, रेस्टोरेंट और रिजॉर्ट का निर्माण नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने इन इलाकों को इको-सेंसिटिव जोन का दर्जा देने का आदेश दिया है।
उच्च कोर्ट ने इंडिपेंडेंट मेडिकल इनीशिएटिव संस्था की साल 2019 की जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान रामनगर-मोहन मार्ग पर स्थित मलानी-कोटा, चिल्किया-कोटा, दक्षिण पातलीदून- चिल्किया हाथी कॉरिडोर पर क्षमता से अधिक व्यवसायिक निर्माण एवं रात में अत्यधिक ट्रैफिक पर विचार किया गया। साथ ही इस संबंध में हिंदुस्तान गवर्नमेंट के प्रोजेक्ट एलिफेंट की सर्वे रिपोर्ट, इस सड़क के सैटेलाइट मानचित्र और उच्चतम न्यायालय द्वारा 2020 में राष्ट्र भर के एलीफेंट कॉरिडोर संरक्षण के लिए दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार न्यायालय ने ये आदेश पारित किए हैं।
कोर्ट ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि इस क्षेत्र में हुए ताबड़तोड़ अवैज्ञानिक व्यवसायिक निर्माण से हाथियों को नदी तक पहुंचने का अपना रास्ता बार-बार बदलना पड़ा है। इससे गजराजों के व्यवहार में भी बदलाव आया है। सारे तथ्यों और रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आदेश जारी किए।
हाईकोर्ट के आदेश के प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर
राज्य गवर्नमेंट को आदेश दिया गया है कि वह रामनगर मोहन रोड पर जिम कॉर्बेट पार्क से लगते हुए हाथी कॉरिडोर वाले क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन का दर्जा देने पर विचार करे।
कोर्ट ने हिंदुस्तान गवर्नमेंट और राज्य गवर्नमेंट को आदेश दिया है कि रामनगर-मोहान रोड पड़ने वाले हाथी कॉरिडोर के इलाकों में अब नए होटल, रिजॉर्ट, रेस्टोरेंट जैसे निर्माणों की किसी भी रूप में अधिकारी अनुमति ना दें।
कोर्ट ने गवर्नमेंट को आदेश दिया है कि हाथियों के पारंपरिक कॉरिडोर जो कि प्रोजेक्ट एलीफेंट द्वारा इस क्षेत्र में सीमांकन किए गए हैं उनका तुरंत संरक्षण प्रारम्भ करें।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड, डीएफओ रामनगर, डीएफओ अल्मोड़ा और निदेशक कॉर्बेट पार्क आदेशित किया है कि एलीफेंट कॉरिडोर वाली इस रोड पर रात्रि में 10:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक पर्याप्त नाइट गार्ड की प्रबंध की जाए ताकि हाथी सरलता से रात्रि में कोसी नदी तक पहुंच सकें और अवांछित रात्रि ट्रैफिक पर लगाम लग सके।
कोर्ट ने हिंदुस्तान गवर्नमेंट और राज्य गवर्नमेंट को आदेशित किया है कि इस क्षेत्र में हाथियों के पास, अंडरपास की प्रबंध किए बिना भविष्य में किसी सड़क का निर्माण ना किया जाए जब तक कि पर्याप्त अबाध सेफ पैसेज प्रबंध न हो।
कोर्ट ने बोला कि पूर्व में ही उनके द्वारा हाथियों को सड़क पार करते समय वन विभाग द्वारा मिर्च के पाउडर का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई थी जो कि जारी रहेगी और पुनः आदेश किया है हाथियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए अमानवीय उपायों का प्रयोग किसी भी हाल में न किया जाए।
राज्य के सचिव वन को भी न्यायालय ने आदेश दिया है कि यदि आवश्यकता पड़े तो एलीफेंट कॉरिडोर में हाथियों के अबाध आवागमन में बाधा बनने वाले निर्माण का अधिग्रहण कर गवर्नमेंट मुआवजा देकर उस भूखंड को अपने नियंत्रण में ले ले।
कोर्ट ने कठोर निर्देश दिए हैं कि जिन ऑफिसरों को इन आदेशों के पालन के लिए उत्तरदायी बनाया गया है वह सभी न्यायालय के आदेशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करें और न्यायालय के आदेशों की अनुपालन आख्या 8 दिसंबर 2022 तक बिंदुवार दाखिल करें।
मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी। इस प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्वे की खंडपीठ में हुई
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