उत्तराखंड

हाईकोर्ट ने राज्य में बिना सर्वे स्ट्रीट वेंडर हटाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर की सुनवाई

Admin Delhi 1
2 Nov 2022 2:34 PM GMT
हाईकोर्ट ने राज्य में बिना सर्वे स्ट्रीट वेंडर हटाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर की सुनवाई
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नैनीताल न्यूज़: हाईकोर्ट ने नेशनल हॉकर फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा बिना सर्वे किए स्ट्रीट वेंडरों को हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार व अन्य पक्षकारों से तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि नियत की गई है। मामले के अनुसार, नेशनल हॉकर फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि उत्तराखंड में लगभग 10187 स्ट्रीट वेंडर हैं। सरकार ने स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 का पालन अभी तक नहीं किया है, जिसमें कहा गया है कि स्ट्रीट वेंडरों के लिए एक निर्धारत जगह होगी। उसे संबंधित कॉर्पोरेशन द्वारा लाइसेंस दिया जाएगा। उनको हटाने से पूर्व समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी करनी होगी। जिस जगह पर स्ट्रीट वेंडरों के लिए जगह निर्धारित होगी, वहां पर ये लोग अपने पास लाइसेंस, आधार कार्ड और राशन कार्ड रखेंगे, जिससे इनकी आसानी से पहचान हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में एक निर्णय देकर कहा था कि सभी राज्य अपने वहां सभी स्ट्रीट वेंडरों का चार माह के भीतर सर्वे कर एक स्ट्रीट टाउन वेंडर कमेटी का गठन करें जिसमें सम्बन्धित कॉर्पोरेशन, पुलिस प्रशासन, व्यापार मंडल, जानकार लोग होंगे लेकिन अभी तक न तो उत्तराखंड में इनका सर्वे हुआ न वेंडिंग जोन घोषित हुआ और न ही कमेटी का गठन हुआ, जिसका नतीजा आये दिन इन लोगों का सामान जब्त किया जाता आ रहा है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि सामान जब्त करने व उसे तोड़ने का अधिकार इनको नहीं है जबकि जब्त खाने का सामान एक दिन में और अन्य सामान तीन दिन के भीतर वापस करने का भी प्रावधान है। सामान उसी दिन वापस कराया जाए या फिर उनको इसका मुआवजा दिया जाए।

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