उत्तराखंड

प्रीतम के घर पहुंचे हरीश..सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम

Gulabi Jagat
10 Feb 2023 1:07 PM GMT
प्रीतम के घर पहुंचे हरीश..सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम
x
देहरादून: कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बुधवार को पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के घर पहुंचे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बंद कमरे में बातचीत हुई। उत्तराखंड कांग्रेस की दो धुरी माने जाने वाले दोनों नेताओं की मुलाकात सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी रही।
बुधवार दोपहर हरीश रावत अचानक प्रीतम सिंह के यमुना कॉलोनी स्थित आवास पहुंचे। प्रीतम ने भी उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। इसके बाद दोनों नेता एक कमरे में चले गए। पार्टी सूत्रों की मानें तो दोनों के बीच वर्ष 2024 के आम चुनाव को लेकर चर्चा हुई।
यह भी कहा जा रहा है कि बीते दिनों उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम दिग्गज राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे। इस दौरान राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस में एकजुटता दिखाने के लिए सभी नेताओं को एक मंच पर आने की हिदायत दी थी। खासकर बड़े नेताओं की गुटबाजी पर लगाम लगाने की बात कही थी।
अमर उजाला से हुई बातचीत में पूर्व सीएम हरीश रावत ने माना कि राहुल गांधी ने पार्टी में एकजुटता का संदेश दिया है। वर्ष 2024 के आम चुनाव को लेकर पार्टी अभी से कमर कसना चाहती है। इसी के मद्देनजर उन्होंने इस संबंध में वरिष्ठ नेता प्रीतम से मंत्रणा की है।
यह भी तय हुआ है कि आने वाले दिनों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बैनर तले एक बड़ा कार्यक्रम किया जाएगा। इसमें पार्टी के सभी नेता एकजुटता दिखाते हुए एक मंच पर दिखाई देंगे। इसके लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से भी उनकी बातचीत हुई है। वहीं, प्रीतम सिंह ने कहा कि हरीश रावत पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनसे जुदा होकर चलने का प्रश्न ही नहीं उठता है।
पार्टी में दो धुरी माने जाने वाले दोनों नेताओं का इस तरह से मिलना पार्टी के लिए तो शुभ संकेत है लेकिन कई विरोधियों को यह बात रास नहीं आई। उन्होंने इसे लेकर कई तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बताते चलें कि दोनों नेता आए दिन एक दूसरे के खिलाफ सियासी तीर छोड़ते रहते हैं, जिससे अकसर पार्टी की फजीहत होती है।
हरीश-प्रीतम की मुलाकात के बीच हरीश रावत के पुत्र आनंद रावत ने अचानक पिता को उत्तराखंडियत की याद दिलाई है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि ऐसा अब नहीं होना चाहिए जैसा वर्ष 2015 में हुआ था। उस समय वह (आनंद) युवाओं को परंपरागत खेलों की तरफ आकर्षित करते हुए उत्तराखंडियत की अलख जगा रहे थे और आप (हरीश) उत्तराखंडियत के नाम पर खली का डब्ल्यूडब्लयूई का खेल करा रहे थे।
Next Story