हरिद्वार: पतंजलि में आज यूकॉस्ट द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ
उत्तराखंड न्यूज़: पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में आज उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकॉस्ट) द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। यह बौद्धिक सम्पदा का अधिकार, आवश्यकता, सम्भावना, जागरूकता और हर्बल मेडिसन में आने वाली आईपीआर सम्बंधित चुनौतियों पर आधारित थी। मुख्य अतिथि के रूप में पतंजलि विश्वविद्यालय के उप-कुलपति प्रोफेसर महावीर अग्रवाल ने कहा कि भारतीय पारम्परिक चिकित्सा पद्धति की महत्ता अनंत काल से चलती आ रही है। उसके संरक्षण एवं संवर्धन हेतु बौद्धिक सम्पदा के अधिकारों की जानकारी को ग्रहण करना भी हमारा अधिकार है। प्रोफेसर विनय कुमार कटियार व डॉ. शालीन रायजादा, सीईओ, सन शैडो प्राइवेट लिमिटेड ने बौद्धिक सम्पदा के अधिकार के बारे में जानकारी दी।
आईटीआई रुड़की के डॉ. रजत अग्रवाल ने आईपीआर प्रबंधन के सम्बंध में अपनी जानकारी साझा करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा पेटेंट चीन तथा अमेरिका जैसे देशों के ग्रान्ट होते हैं। भारत को भी बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता हैं, जिससे हम अपनी धरोहर को सहेज सकें। उत्तराखंड बागवानी तथा वानिकी विश्वविद्यालय के इंजीनियर तेजस भोंसले ने कृषि और कृषि संबंधित क्षेत्र में आईपीआर का योगदान, पौधे की किस्म को संरक्षित करने के लिए आईपीआर प्रक्रिया से अवगत कराया। पतंजलि अनुसंधान के वैज्ञानिक डॉ. ब्रिजेश कुमार और पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं न्यूक्लीयर साइंसटिस्ट डॉ. पारन गौडा ने भी आईपीआर के सम्बंध में आवश्यक जानकारी देकर अपने विचार व्यक्त किये।
संगोष्ठी का शुभारम्भ और मंच का संचालन डॉ. वेदप्रिया आर्य ने अपने सुविचार रखकर किया।