Haridwar: वनों की आग के प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी
हरिद्वार: उत्तराखंड में वनों की आग के प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है, यह बात ऋषिकेश-देहरादून रोड के किनारे बड़कोट वन क्षेत्र में पत्ती जलाने के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में पेश की गई एमिकस क्यूरी रिपोर्ट में कही गई है।
इससे पहले अप्रैल में एनजीटी ने मामले में सहायता के लिए अधिवक्ता गौरव बंसल को एमिकस क्यूरी (न्यायालय का मित्र) नियुक्त किया था। 14 अक्टूबर की तारीख वाली और पिछले सप्ताह एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में वनों की आग के प्रभावी प्रबंधन में बाधा डालने वाली महत्वपूर्ण कमियों और उल्लंघनों को दूर करना जरूरी है।
इसमें कहा गया है, "उत्तराखंड राज्य वनों की आग के प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहा है। इसमें अग्निशमन उपकरणों (जैसे सुरक्षात्मक चश्मे, सुरक्षात्मक गियर, हथियार आदि) की कमी, दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए अपर्याप्त गश्ती वाहन और आग की आपात स्थिति के दौरान समन्वय और समय पर प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक वायरलेस और सैटेलाइट फोन जैसे संचार उपकरणों की कमी शामिल है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि वन विभाग को बुनियादी ढांचे से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें बढ़ती मांगों और बढ़ते कार्यबल को पूरा करने के लिए नए ढांचे की कमी और वन रक्षक या वनपाल चौकियों का दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित होना शामिल है, जहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं।