उत्तराखंड

हरिद्वार हेट स्पीच केस : उत्तराखंड सरकार को SC का नोटिस, SIT ने किए 2 आरोपियों और 12 गवाहों के बयान दर्ज

Deepa Sahu
13 Jan 2022 11:22 AM GMT
हरिद्वार हेट स्पीच केस : उत्तराखंड सरकार को SC का नोटिस, SIT ने किए 2 आरोपियों और 12 गवाहों के बयान दर्ज
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सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार और दिल्ली में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर 10 दिन के अंदर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार और दिल्ली में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर 10 दिन के अंदर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने घृणा भाषण देने वाले लोगों के खिलाफ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर यह आदेश दिया। इसके बाद उत्तराखंड पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी चल रही जांच में दो नामजद आरोपियों और कम से कम 12गवाहों के बयान दर्ज किए।

गठित एसआईटी के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में अब तक पांच में से दो आरोपियों से पूछताछ की है। उनके बयान बुधवार को दर्ज किए गए। इसके अलावा एसआईटी ने मामले के शिकायतकर्ताओं समेत गवाह के तौर पर 12 और लोगों के बयान भी दर्ज किए। पुलिस शेष तीन अन्य आरोपियों से जल्द ही पूछताछ करेगी।
वहीं, एसआईटी का नेतृत्व कर रहे पुलिस अधीक्षक देहरादून (ग्रामीण) कमलेश उपाध्याय ने कहा कि पुलिस कानून के अनुसार अपनी जांच में सभी आवश्यक कार्रवाई कर रही है। उसके तहत, अगर दो नामित आरोपियों और कुछ गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। बता दें कि इस मामले में पुलिस ने त्यागी, अन्नपूर्णा मां, यति नरसिंहानंद, सागर सिंधु महाराज और धर्मदास महाराज को नामजद किया था।इससे पहले बुधवार को, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद उत्तराखंड सरकार ने कहा कि वह अदालत के आदेश की जांच करेगी। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी। जहां तक ​​सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का सवाल है एक एसआईटी पहले ही गठित की जा चुकी है जो मामले की जांच कर रही है।
इसी बीच, उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस को सरकार के मुंह पर तमाचा करार दिया। सुप्रीम कोर्ट के दखल ने पूरे मामले में राज्य सरकार की अक्षमता साबित की है। सरकार अब पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है कि उसने जानबूझकर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
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