उत्तराखंड

हरिद्वार धर्म संसद विवाद: सरकार के खिलाफ छेड़ा कैम्पेन, 32 पूर्व IFS अफसरों ने लिखा खुला लेटर

Kunti Dhruw
5 Jan 2022 11:48 AM GMT
हरिद्वार धर्म संसद विवाद: सरकार के खिलाफ छेड़ा कैम्पेन, 32 पूर्व IFS अफसरों ने लिखा खुला लेटर
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हरिद्वार में पिछले दिनों आयोजित धर्म संसद (Dharma Sansad) में विवादास्पद टिप्पणी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

नई दिल्ली. हरिद्वार में पिछले दिनों आयोजित धर्म संसद (Dharma Sansad) में विवादास्पद टिप्पणी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आर्म्स फोर्स के पूर्व प्रमुखों के बाद अब 32 पूर्व भारतीय विदेश सेवा(IFS) के अधिकारियों ने एक खुला लेटर लिखकर इसकी निंदा की है। बता दें कि हरिद्वार के खड़खड़ स्थित वेद निकेतन में 16 से 19 दिसंबर तक धर्मसंसद का आयोजन किया गया था। आरोप है कि इसमें कुछ लोगों ने कथित तौर पर हेट स्पीच दी थी और इसके बाद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वहीं इस मामले में ज्वालापुर निवासी गुलबहार कुरैशी की शिकायत पर पुलिस ने यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के खिलाफ धार्मिक उन्माद फैलाने का मामला दर्ज कराया था और वायरल वीडियो के तूल पकड़ने के बाद हरिद्वार कोतवाली पुलिस सक्रिय हो गई।

सरकार के खिलाफ शुरू किया कलंक अभियान
सशस्त्र बलों के पूर्व प्रमुखों सहित प्रमुख नागरिकों द्वारा हरिद्वार में दिए गए घृणास्पद भाषणों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध जताया जा रहा है। बुधवार को पूर्व IFS अधिकारियों के एक ग्रुप(32 पूर्व अधिकारी) ने सरकार के खिलाफ कलंक अभियान(sustained smear campaign) छेड़ा है। इस ग्रुप ने एक ओपन लेटर लिखकर कहा है कि इस मामले की सबको निंदा करनी चाहिए। धार्मिक, जातीय, वैचारिक या क्षेत्रीय मूल की परवाह किए बिना स्पष्ट रूप से इसकी निंदा की जानी चाहिए। पत्र लिखने वालों में कंवल सिब्बल, वीना सीकरी और लक्ष्मी पुरी भी शामिल हैं। बता दें कि इससे पहले सशस्त्र बलों के पांच पूर्व प्रमुखों और नौकरशाहों सहित कई अन्य प्रमुख नागरिकों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। इसमें ऐसे लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की गई थी। 100 से अधिक लोगों के समूह ने धर्म संसद में मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों का भी उल्लेख किया था।
सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका(writ petition) भी दायर की जा चुकी है। मुसलमानों के सामाजिक-धार्मिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद और सामाजिक कार्यकर्ता मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने यह याचिका दायर की है। इसमें पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों के कई उदाहरणों का जिक्र किया गया है। इसमें 2018 से लेकर देशभर में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा का भी हवाला दिया गया है।
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