उत्तराखंड

हल्द्वानी : महिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, डॉक्टर नहीं तो कभी स्टाफ की भी कमी

Bhumika Sahu
3 Nov 2022 4:56 AM GMT
हल्द्वानी : महिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, डॉक्टर नहीं तो कभी स्टाफ की भी कमी
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डॉक्टर नहीं तो कभी स्टाफ की भी कमी
हल्द्वानी। कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में एसटीएच, बेस और महिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है। कहीं चिकित्सक नहीं हैं तो स्टाफ की बेहद कमी है। तकनीकी सुविधाओं का अभाव है।
अस्पताल प्रबंधन की तरफ से स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने और चिकित्सकों की कमी दूर करने के प्रस्ताव शासन को समय-समय पर भले ही भेजे जाते हों, लेकिन लंबे समय से इन प्रस्तावों का निस्तारण कागजों में ही हो रहा है। ऐसे में धरातल पर समस्याएं बरकरार हैं तो मरीज लाचार हैं।
जनप्रतिनिधि भी इन अस्पतालों का जायजा लेने के दौरान तमाम दावे करते हैं मगर अव्यवस्थाओं से जूझते अस्पतालों में कमियों को दूर करने के लिए कोई ठोस प्रयास होते नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में इन अस्पतालों में आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा कैसे मिलेगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
एसटीएच
कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल (एसटीएच) में सबसे ज्यादा चिकित्सकों की कमी है। यहां कुमाऊं ही नहीं, उत्तर प्रदेश से भी मरीज आते हैं। सबसे अधिक बेड वाला एसटीएच राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन है। यहां संकाय चिकित्सा सदस्यों के करीब 60 प्रतिशत पद खाली हैं। यहां असिस्टेंट प्रोफेसर के 66, एसोसिएट प्रोफेसर के 36 और प्रोफेसर के 14 पद खाली हैं। मात्र 40 प्रतिशत पदों पर तैनात चिकित्सक इतने बड़े अस्पताल में हर दिन 1500 से अधिक मरीजों का उपचार करते हैं। हालात ये हैं कि सीमित संसाधनों से ही मरीजों का इलाज हो रहा है।
हृदय चिकित्सक न कैथ लैब
एसटीएच में हृदय रोगियों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। हैरानी की बात है कि इस अस्पताल में 14 साल से कोई हार्ट स्पेशलिस्ट ही नहीं है। वर्ष 2008 से पहले यहां डॉ. दीप पंत तैनात थे, जो रोजाना लगभग 100-150 मरीजों को परामर्श देते थे। मरीजों के लिए कोई सुविधाएं न होने के चलते डॉ. पंत ने त्याग पत्र दे दिया था और उनके जाने के बाद से आज तक एसटीएच में किसी हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हुई। यही नहीं, यहां अभी तक मरीजों की जांच के लिए कैथ लैब तक नहीं बन पाई है।
बेस
सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में भी सबसे ज्यादा कमी विशेषज्ञ चिकित्सकों की है। यहां चिकित्सकों के 51 पद सृजित हैं, जिसके सापेक्ष यहां 26 चिकित्सक ही तैनात हैं। फिजीशियन के 2, सर्जन, एनेस्थेटिक, बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, ईएनटी सर्जन, चर्मरोग विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक, माइक्रोबायोलॉजी के 1-1 पद तो स्त्री रोग विशेषज्ञ के 3 व जीडीएमओ के 8 पद खाली हैं। इस हिसाब से यहां भी 50 फीसदी चिकित्सकों की कमी बनी है। इसके कारण पिछले एक साल से बेस में आईसीयू का संचालन भी ठप है। यहां गंभीर हालत में आने वाले मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है।
महिला अस्पताल
इस अस्पताल में भी चिकित्सकों के 29 पद सृजित हैं, जबकि तैनाती 20 की ही है जबकि इनमें भी कई चिकित्सक संविदा पर कार्यरत हैं। यहां चिकित्सकों के 9 पद खाली हैं। इनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ के 4 तो बाल रोग विशेषज्ञ, एनेस्थेटिक, रेडियोलॉजिस्ट, पैथॉलॉजिस्ट और महिला चिकित्सा अधिकारी के 1-1 पद खाली हैं। इस अस्पताल के पास कोई स्थायी रेडियोलॉजिस्ट तक नहीं है। यहां पदमपुरी पीएचसी से संबद्ध रेडियोलॉजिस्ट डॉ. कुमुद पंत सप्ताह में पांच दिन सेवाएं देते हैं, जिसके चलते गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड हो पाता है।
जगी उम्मीद
बीते मंगलवार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं एसटीएच का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, यह कुमाऊं का सबसे बडा चिकित्सालय है। यहां पर्वतीय क्षेत्र के साथ ही उत्तर प्रदेश के रोगी उपचार हेतु आते है। उन्होंने प्राचार्य डॉ. अरूण जोशी को निर्देश दिये कि चिकित्सालय में आने वाले रोगियों को बेहतर उपचार दें। कहा कि चिकित्सालय हेतु जिन वस्तुओं की आवश्यकता है उनका प्रस्ताव बनाकर शासन को प्रेषित करें, ताकि कार्यो हेतु शीघ्र धन आवंटित किया जा सके। ऐसे में उम्मीद है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा शासन स्तर पर चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बारे में अवगत कराने पर राहत मिलेगी।

सोर्स: अमृत विचार

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